भारतीय ओलंपिक संघ (आई ओ ए) ने एक अहम फैसला लेते हुए भारतीय कुश्ती महासंघ के सभी निवर्तमान अधिकारियों को भारतीय कुश्ती महासंघ के संचालन के संबंध में किसी भी प्रशासनिक कार्य को करने से तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया है। इसे लेकर आई ओ ए द्वारा बाकायदा एक ऑर्डर भी जारी किया गया है और यह निर्देश दिया गया है कि भारतीय वुसू फेडरेशन के अध्यक्ष और निशानेबाज सुमा शिरूर कमेटी के प्रमुख होंगे।
आई ओ ए को लगता है कि इस कदम से पहलवानों का गुस्सा शांत किया जा सकता है। लेकिन आईओए तो पहले ही अपना विश्वास खो चुकी है। यह ना भूलें कि आई ओ ए अध्यक्ष पीटी ऊषा और पूर्व में बनाई गई जांच समिति की अध्यक्ष मेरीकॉम को पहलवानों ने सिरे से खारिज कर दिया था।
फिलहाल एक एडहॉक कमेटी कुश्ती संघ के क्रियाकलापों पर नजर रख रही थी, अब इसी कमेटी को संघ के चुनाव कराने का जिम्मा भी सौंपा गया है।
12 मई को जारी किए IOA के आदेश में खेल मंत्रालय के 24 अप्रैल के जारी पत्र का हवाला दिया गया है , जिसमें खेल मंत्रालय ने आई ओ ए से एडहॉक कमेटी बनाने का आदेश दिया था, ताकि डब्ल्यू एफ आई से जुड़े काम, इसकी एग्जीक्यूटिव काउंसिल की देख रेख में किए जा सकें।
आशंका व्यक्त की जा रही है कि एक और कमेटी का गठन कर मामले को उलझाया जा रहा है। सवाल यह पैदा होता है कि जिन प्रशासनिक अधिकारियों पर नकेल कसी गई है , उन्हें तो पर्याप्त समय दिया जा चुका है। इस बीच वे अपने आकाओं के हित का काम अंजाम दे चुके होंगे। वैसे भी धरने पर बैठे पहलवानों को ओलंपिक संघ और उसकी मुखिया पर भारोस नहीं रहा। पीटी उषा जंतर मंतर से खाली हाथ और कड़वे अनुभव के साथ लौटीं तो मैरीकॉम से भी उम्मीद नहीं की जा रही।
खेल मंत्रालय, साई , और आई ओ ए की कथनी करनी को पहलवान देख चुके हैं। एक बार फिर गेंद ओलंपिक संघ के पाले में जाने का मतलब है पहलवानों के लिए न्याय की गुहार लगाने वालों का भरोसा खोना। चूंकि सरकार, खेल मंत्रालय और ब्रज भूषण पर दबाव बढ़ रहा है, हो सकता है कोई हल निकल जाए । लेकिन आशंका यह व्यक्त की जा रही है कि आंदोलन को गुमराह करने की साजिश रची जा रही है।
ब्रज भूषण तो पहले ही तीन कार्यकाल पूरे कर चुके हैं । उन्हें पद से हटाने वाली बात गले नहीं उतर पा रही।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |