क्रिकेट के लिए ओलंपिक के दरवाजे लगभग खुल चुके हैं। लेकिन क्रिकेट और उसके चाहने वालों ने शायद ही कभी सोचा होगा कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति(आईओसी) तुरत फुरत में ही क्रिकेट पर इस कदर मेहरबान हो जाएगी। बेशक, क्रिकेट को एक बार फिर से ओलंपिक में शामिल करने में भारत और उसके क्रिकेट बोर्ड की भूमिका बढ़ चढ़ कर रही है। तारीफ की बात यह है कि मुंबई में आयोजित आईओसी के 141 वें सम्मेलन में जब क्रिकेट को पांच नए ओलंपिक खेलों में शामिल करने की घोषणा की गई तो 99 में से मात्र दो सदस्य देश सहमत नहीं थे । अर्थात क्रिकेट को पूरी दुनिया का खेल मान लिया गया है, जिसे 2028 के लासएंजल्स ओलंपिक में शामिल किया जा चुका है।
इसमें दो राय नहीं कि क्रिकेट मुख्यतः दस देशों का खेल माना जाता रहा है और भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है, जिसे पूरा देश खेलता और जीता है। भारत के देखा देखी दक्षिण एशिया के देशों पाकिस्तान, बंगला देश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, नेपाल आदि भी इस खेल को गंभीरता से खेलते हैं। भले ही यह खेल इंग्लैंड की देन माना जाता है और पहली बार जब 1900के पेरिस ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल।किया गया था तो इंग्लैंड के अलावा भाग लेने वाला देश सिर्फ फ्रांस ही था। लेकिन अब यह खेल काफी हद तक बदल चुका है। पहला खिताब इंग्लैंड ने जीता लेकिन अब कई दावेदार उभर कर सामने आए हैं जिनमें भारत प्रमुख है।
अब से पहले तक क्रिकेट को लेकर यह उलाहना दिया जाता था कि यह ओलंपिक खेल नहीं है। बाकी खेलों के साथ उसकी कम ही पटती थी। खासकर, भारत में यह धारणा घर कर चुकी थी कि क्रिकेट अमीरों का खेल है। हालांकि 1983 में विश्व कप जीतने के बाद से भारत में क्रिकेट हर वर्ग और गरीब अमीर का खेल बन गया लेकिन असली बदलाव तब आया जबकि इस खेल में धन वर्षा हुई और क्रिकेट हर बच्चे और जवान का पहला खेल बन गया।
आज क्रिकेट के मायने बदल चुके हैं । टेस्ट , एकदिनी और टी 20 क्रिकेट सभी लोकप्रियता का चरम छू चुके हैं। ओलंपिक में मुकाबले टी 20 फॉर्मेट के आधार पर खेले जाएंगे। हालांकि भारत, पाकिस्तान, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका आदि देश प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं लेकिन चार पांच साल में इस खेल के रूप स्वरूप में खासा बदलाव देखने को मिलेगा।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |