भारतीय फुटबॉल टीम के हेड कोच इगोर स्टीमक ने ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) को भेजी अपनी रिपोर्ट में भारतीय फुटबॉल की दयनीय हालत पर टिप्पणी करते हुए कहा जिस देश के बड़े क्लब (आईएसएल), बांग्लादेश और मालदीव जैसे देशों के क्लबों से पार नहीं पा सकते है उसकी फुटबॉल से ज्यादा की उम्मीद नहीं की जा सकती है। इगोर यह भी कह रहे हैं कि जिस देश का एक भी बड़ा खिलाड़ी किसी बड़ी लीग में नहीं खेल रहा या खेलने योग्य नहीं है तो उसकी फुटबॉल की तरक्की कैसे हो सकती है।
अर्थात इगोर अब उन विदेशी कोचों की भाषा में बतियाने लगे हैं, जिन्होंने समय-समय भारतीय फुटबॉल को सजाने-संवारने का दायित्व निभाया लेकिन उनसे कुछ करते नहीं बन पाया, तो यह कहते हुए गए कि भारतीय फुटबॉल कभी नहीं सुधर सकती है।
साल 2019 में भारतीय फुटबॉल टीम की बागडोर संभालने वाले इगोर की बड़ी उपलब्धि यह रही कि भारत कुछ समय तक 100 के अंदर की फीफा रैंकिंग तक पहुंचा और चंद सप्ताह बाद 116 पर लुढ़क गया है। इगोर जान गए हैं कि अब भारतीय फुटबॉल को सुधारना उनके बूते की बात नहीं रही। यह भी संभव है कि वह भारतीय फुटबॉल को अलविदा कह दें। लेकिन जाते-जाते वह ताना भी दे गए हैं कि जिस देश के युवा खिलाड़ी 18, 20 और 22 आयु वर्ग के एशियन कप के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाते, उसे बड़े सपने नहीं देखने चाहिए।
कुल मिलाकर इगोर ने भारतीय फुटबॉल और उसके कर्णधारों को भिगो-भिगो कर कूटा है। लेकिन जाते-जाते आरोप लगाने वाले, कमियां निकालने वाले और भद्दी गालियां देने वाले इगोर पहले गोरे कोच नहीं हैं। उनसे पहले बॉब बूटलैंड, जॉन किनर, मिलोवन सिरिक, रुस्तम अकरामोव, बॉब हाटन, स्टीवन कॉन्सटेनटाइन और कुछ अन्य विदेशी कोच आजमाए जा चुके हैं। सभी ने अपने-अपने अंदाज में भारतीय फुटबॉल को सोया शेर बताया, बाईचुंग भूटिया, सुनील छेत्री और अन्य वरिष्ठ खिलाड़ियों की आड़ में खुद को बचाया और अंत में जाते-जाते बोल गए, “भारतीय फुटबॉल में दम नहीं, कभी नहीं सुधर सकती।”
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |