डीएसए प्रीमियर लीग यूँ तो कई विवादों के चलते उपहास का पात्र बनी हुई है लेकन भारतीय वायुसेना के शर्मनाक प्रदर्शन के कारण एक अलग तरह की बहस छिड़ गई है l अम्बेडकर स्टेडियम पर खेले गए एकतरफा मुकाबले में भारतीय वायुसेना को नेशनल यूनाइटेड स्पोर्ट्स क्लब के हाथों नौ गोलों की हार का सामना करना पड़ा l फिलहाल प्रीमियर लीग में यह सबसे बड़ी हार का रिकार्ड है l हालांकि 21 नवम्बर को खेले गए एक अन्य मैच में रॉयल रेंजर्स ने भारतीय वायुसेना को 7-0 से हरा कर बड़ी जीत दर्ज की, जोकि रिकार्ड बना था । सवाल जीत हार का नहीं हैl राजधानी की नामी टीम वायुसेना की शर्मनाक हार का कारण उसके मात्र नौ खिलाडियों का मैदान में उतरना था l लेकिन नेशनल यूनाइटेड के विरुद्ध तो आठ खिलाड़ी ही उपलब्ध हो पाए l ऐसा क्यों हो रहा है और क्यों वायुसेना जैसी टीम की फ़जीहत हो रही है? नियमों के अनुसार कोई टीम कम से कम 20 और अधिकतम 35 खिलाडियों को रजिस्ट कर सकता है l तो फिर बाकी खिलाडी कहाँ गए? आखिर वायुसेना की फुटबाल शर्मनाक प्रदर्शन के रेकार्ड बनाने पर क्यों तुली है?
टीम प्रबंधन से जब आधी अधूरी टीम फील्ड करने के बारे में पूछा गया तो उनके प्रतिनिधि के अनुसार वायुसेना के पांच प्रमुख खिलाडी संतोष ट्राफी राष्ट्रीय फुटबाल चैंपियानशिप के लिए सर्विसस टीम में शामिल हैं, चार अग्निवीर ट्रेनिंग में हैं और इतने ही खिलाडी चोटिल हैंl टीम कोच के अनुसार इस बारे में डीएसए की लीग आयोजन समिति को लिखित में दिया जा चुका है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई l मजबूरन लगातार तीन मैचों में क्रमशः दस, नौ और आठ खिलाडियों की टीम मैदान में उतारनी पड़ी l आगे भी यही सिलसिला बने रहने की आशंका है l समस्याओं से घिरी दिल्ली की फुटबाल में वायु सेना के साथ जुडा विवाद इसलिए चिंता का विषय है क्योंकि प्रीमियर लीग ग्राउंड नहीं मिल पाने के कारण पहले ही तीन महीने पीछे रही है l लेकिन वायुसेना को फुटबाल टीम की फजीहत पर ध्यान देने की जरुरत है l यह ना भूलें कि वायुसेना की दो टीमें दिल्ली लीग में खेलती हैं l ऐसे में खिलाडियों कि कमी होने का बहाना समझ से परे है l याद रहे वायुसेना का फुटबाल में बड़ा नाम रहा है l
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |