राजेंद्र सजवान
जो खिलाड़ी कल तक अपनी सरकार और एथलेटिक संघ के सामने गिड़गिड़ा रहा था , जिसे कोई भाव देने के लिए तैयार नहीं था वह आज पाकिस्तान का स्टार खिलाड़ी बन गया है। गंदी राजनीति और तमाम समस्याओं से घिरा पाकिस्तान कल तक जिसकी खबर तक लेने के लिए तैयार नहीं था वह उपेक्षित अरशद नदीम आज पाकिस्तान के घर घर में जाना पहचाना जा रहा है। जिसके पास नया जेवलिन खरीदने के लिए पैसे नहीं थे और जिसे कोई प्रायोजक मुंह लगाने के लिए तैयार नहीं था उसकी चौतरफा पूछ हो रही है। खबर है कि अब अनेक देशी विदेशी कंपनियां और और पाकिस्तान के धनाढ्य उसके सामने नतमस्तक रहे हैं और उस पर धन वर्षा हो रही है।
बेशक, यह कमाल उस थ्रो का है जिसने न सिर्फ उसे ओलंपिक गोल्ड दिलाया उसे ओलंपिक चैंपियन बनाया और जिसके चलते भारत के नीरज चोपड़ा को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।
अरशद ने 92.97 मीटर की थ्रो से ओलंपिक गोल्ड जीत कर न सिर्फ पाकिस्तान के लिए पहला एथलेटिक गोल्ड जीता उसने समस्याग्रस्त पाकिस्तान को एक अलग सोच देने का भी काम भी किया है। संभवतया उसके बुरे दिनों का अंत हो गया है। वह उन युवाओं के लिए आदर्श बन गया है , जोकि ज्ञान के अभाव में भटक रहे थे। जो मीडिया कर्मी अरशद को कवर करने पेरिस गए थे उन्होंने इस बारे में बहुत सी अच्छी बांतें बांट कर युवा वर्ग को अरशद और नीरज जैसा बनने की सीख दी है। उन्हें भारत पाक खेल संबंधों में सुधार की संभावना भी नजर आती है।
लेकिन नदीम ने नीरज के लिए एक ऐसा टारगेट सेट कर दिया है जिसको छूने और पार पाने के लिए भारतीय चैंपियन को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। लगभग तीन मीटर के अंतर से नदीम आगे निकल गया है। सीधा सा मतलब है कि नीरज को पहले 90 मीटर से पार पाना है तत्पश्चात ही वह नदीम को पीछे छोड़ने के बारे में सोच सकता है।
एथलेटिक जानकारों की माने तो नीरज के सामने अब एक और बड़ी लकीर खिंच गई है जिसे पार पाना मुश्किल जरूर है, नामुमकिन नहीं है।
अरशद नदीम की उपलब्धि से उसके देश के युवा भी अब सोच में बदलाव चाहते हैं। एक वर्ग तो बकायदा यह भी मांग करने लगा है कि अरशद को देश की सरकार में उच्च पद दिया जाए। हालांकि अशरफ अभी कुछ सालों तक मैदान पर डटा रहना चाह रहा है और अगले दो ओलंपिक में पदक जीतने का टारगेट ले कर चल रहा है! लेकिन पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार उसकी रिकार्ड तोड थ्रो का पूरा पाकिस्तान दीवाना हो गया है वह अपने देश का नया हीरो बन कर उभरा है। पाकिस्तान के गली कूचों से लेकर राजनीतिक गलियारों में भी उसकी चर्चा है। बेशक, नीरज और उसके बीच प्रतिद्वंद्वीता बढ़ गई है। भले ही दोनों अच्छे दोस्त हैं लेकिन दोनों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ना स्वाभाविक है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |