राष्ट्रीय खेल अवार्ड दद्दा के जन्मदिन पर ही दिए जाएं – अशोक ध्यानचंद

National Sports awards should be given on 29th Aug

भले ही राष्ट्रीय खेल अवार्डों का नामकरण हॉकी जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम पर कर दिया गया है लेकिन 29 अगस्त को उनके जन्मदिन पर यदि राष्ट्रीय खेल अवार्ड नहीं दिए जाते तो यह कुछ कुछ परम्परा टूटने जैसा है, ऐसा मानना है दद्दा के यशस्वी सुपुत्र और ओलम्पियन अशोक ध्यानचंद का ,जोकि झांसी में अपने पिता के जन्मदिन पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में व्यस्त हैं ।

यह सही है कि दद्दा गुलाम भारत के महानतम हॉकी खिलाडी थे लेकिन प्रतिभा के मामले में अशोक भी अपने पिता समान कलाकार थे । उनकी ड्रिब्लिंग का जादू जब कभी सर चढ़कर बोला भारत ने मान सम्मान पाया और खिताब जीते । 1975 की विश्वविजेता भारतीय टीम के महानायकों में उनका नाम भी शुमार है जिन्होंने अजीतपाल सिंह की कप्तानी में गज़ब का प्रदर्शन किया ।

अशोक कुमार ने वर्षों तक अपने पिता को भारत रत्न दिए जाने के आन्दोलनों का समर्थन किया लेकिन अब उन्होंने हथियार डाल दिए हैं और इतने सब से खुश हैं कि ध्यानचंद जी के नाम पर राष्ट्रीय खेल अवार्ड दिए जाने लगे हैं । लेकिन लगातार दो सालों से राष्ट्रपति द्वारा नियत तिथि पर अर्जुन अवार्ड, खेल रत्न अवार्ड और द्रोणाचार्य अवार्ड नहीं बांटे जाने को अशोक परम्परा के साथ छेड़ छाड़ मानते हैं और चाहते हैं कि खेल दिवस पर ही राष्ट्रीय खेल अवार्ड दिए जाएं ।

भारतीय हॉकी टीम द्वारा टोक्यो ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने को वे शानदार उपलब्धि तो बताते हैं लेकिन साथ ही जोड़ते हैं कि वर्ल्ड हॉकी में चौथे पायदान की टीम यदि ऑस्ट्रेलिया से लगातार सात सात गोलों से हारती है तो खिलाडियों और हॉकी प्रेमियों का विश्वास टूटता है । इस दिशा में सुधार जरूरी है वरना कल कुछ और टीमें भी भारतीय हॉकी को आसान शिकार मान बैठेंगी । उनके अनुसार पहली सात आठ टीमों में ज्यादा फर्क नहीं है और जरा सी चूक हमें बहुत पीछे धकेल सकती है ।

उनकी राय में आज के खिलाडियों को बेहतर सुविधाएं मिल रही है । विदेशी कोच सिखा पढ़ा रहे हैं, खिलाडी सालों साल विदेशों में या राष्ट्रीय कैम्प में व्यस्त रहते हैं लेकिन अपने देश में अपने चाहने वालों के सामने शायद ही कभी खेल पाते हैं , जबकि उनके जमाने के खिलाडी अपने माहौल और अपने हॉकी प्रेमियों के बीच रह कर चैम्पियन बने ।

अशोक चाहते हैं कि हमारे हॉकी एक्सपर्ट्स फिलहाल कोई राय न बनाएं और पेरिस ओलम्पिक तक इन्तजार करें । वहीं भारतीय हॉकी की असली परीक्षा होगी । उन्होंने हॉकी इंडिया को अपना घर सुधारने की भी सलाह दी है ।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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