इगोर स्टीमक भारतीय राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के चीफ कोच पद से हटा दिए गए हैं। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने पूर्व क्रोएशियाई फुटबॉलर को 2019 में कोच का शीर्ष पद सौंपा था। पिछले साल अक्टूबर में उनके अनुबंध का 2026 का विस्तार किया गया था लेकिन उन्हें पहले ही हटाना पड़ा, क्योंकि फीफा वर्ल्ड कप क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में भारतीय टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। अर्थात अब हमें एक और विदेशी कोच खोजना है जो कि लाखों रुपये प्रतिमाह के अनुबंध पर आएगा और अंतत: उसे भी इसी प्रकार धकिया दिया जाएगा।
यह सही है कि कतर के हाथों वर्ल्ड कप क्वालीफाइंग अभियान समाप्त होने की सजा कोच को मिली है। हालांकि स्टीमक ने पहले ही कह दिया था कि अगर भारत क्वालीफायर के तीसरे दौर में नहीं पहुंच पाया तो पद त्याग देंगे लेकिन एआईएफएफ ने पहले ही क्रोएशियाई कोच का बोरिया बिस्तर बांध दिया।
हालांकि उनके कार्यकाल में भारत ने दो सैफ चैम्पियनशिप, इंटरकॉन्टिनेंटल कप और तीन देशों की सीरीज जीती, लेकिन इन आयोजनों का स्तर बेहद निचले दर्जे का था। हम एशियाड और एशिया कप में भी नाकाम रहे। अफगानिस्तान से हारे और अंतत: कतर से विवादास्पद मैच हारकर इगोर की मुश्किलें बढ़ गईं।
‘तू चल मैं आया,’ की तर्ज पर सुनील छेत्री के पीछे-पीछे इगोर की बर्खास्तगी समझ आ रही है। इसी प्रकार पिछले कोच भी भारतीय फुटबॉल को कोसते हुए विदा हुए। सभी बहुत महंगे साबित हुए। उन पर करोड़ों खर्च किया गया लेकिन कोई भी भारतीय फुटबॉल को सुधार नहीं पाया। इगोर अब तक के सबसे महंगे और नाकाम कोच साबित होने जा रहे हैं क्योंकि उन्हें निकाला गया है इसलिए उन्हें तीन करोड़ रुपये का भुगतान अलग से करना पड़ेगा। भारत की फीफा रैंकिंग भी पूरी तरह बिगड़ चुकी है, जिसे सुधारने के लिए किसी विदेशी कोच की तलाश फिर से शुरू हो चुकी हैं।
छेत्री और इगोर की एक साथ विदाई का आघात भारतीय फुटबॉल को सहना है, जिसकी हमें आदत सी पड़ गई है। इगोर के बाद कौन, कितने करोड़ में और कब तक…? ये सवाल हर एक की जुबान पर हैं।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |