“वाह मैस्सी , वाह वाह मैस्सी , कर दी सबकी ऐसी की तैसी” । क़तर विश्व कप में अर्जेंटीना की जीत के बाद कोलकत्ता के एक फुटबाल प्रेमी का यह बैनर वाकई कुछ कहता है । 35 साल का खिलाडी अपने आखिरी विश्व कप मुकाबले में जब अपने से आधी उम्र के खिलाडियों को नचाता घुमाता है और लगभग अकेले दम पर अपने देश को विश्व विजेता बनता है तो दुनिया भर में इस प्रकार की प्रतिक्रिया स्वाभाविक है ।
कोई अवतार पुरुष है : बेशक मैसी के दीवाने करोड़ों है और जाते जाते उसने अपने दीवानों की संख्या को असंख्य तक बढ़ाया है । कोई उसे जादूगर कहता है तो किसी को चमत्कारी पुरुष लगता है जोकि कभी भी कुछ भी कर सकता है । कुछ भारतीय फुटबाल प्रेमियों की राय में वह भगवान् श्री कृष्ण जैसा कोई अर्जेंटाइन देवता है कोई अवतार पुरुष है, जोकि अपनी कला दिखाने के लिए धरती पर अवतरित हुआ है । जिस प्रकार श्री कृष्ण अपनी बांसुरी से गोपियों और तमाम जीवों को वश में कर लेते थे मैसी ने पांव की कलाकारी से ना सिर्फ प्रतिद्वंद्वियों को वश में किया, फुटबाल जगत को अपना दीवाना भी बनाया है।
दक्षिण भारतीय फिल्मों के हीरो जैसा : मैसी की तारीफ़ करने वालों को उसमें हीरो गिरी जैसी कोई चीज दिखाई नहीं देती लेकिन भारतीय कहते हैं कि दक्षिण अमेरिकी देश का यह खिलाडी दक्षिण भारतीय फिल्मों के हीरो जैसा लगता है , जोकि एक साथ कई गुंडों को चित कर वाह वाह लूटता है । फर्क सिर्फ इतना है कि उसमें हीरो गिरी जैसा कुछ दिखाई नहीं देता । साथी खिलाडियों में बेहद लोकप्रिय है , फ़ाउल प्ले से हमेशा दूर रहा और अपने से जूनियर खिलाडियों को हमेशा साथ लेकर चला , जिनके सहयोग और समर्पण से उसने विश्व फुटबाल का ताज पहना ।
रोनाल्डो से हटकर : फुटबाल जगत में मैसी का पदार्पण तब हुआ जब पुर्तगाल का स्टार खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो तूफानी रफ़्तार से आगे बढ़ रहा था । लगभग डेढ़ दशक तक इन महान खिलाडियों के बीच लुका छुपी का खेल चलता रहा । सर्वाधिक गोल जमाने और अरबों डालर कमाने की होड़ में दोनों का कोई सानी नहीं रहा लेकिन अंततः श्रेष्ठता की जंग में बाजी मैसी के हाथ लगी । दो बार अपने दम पर अर्जेन्टीन को फाइनल तक पहुँचाना और क़तर में देश और अपनी कीर्ति को चार चाँद लगाने वाले इस महान चैम्पियन के सामने रोनाल्डो भी फीके पड़ गए हैं। इसके साथ ही पर्तिस्पर्धा का भी अंत हो गया है ।
पेले और माराडोना से तुलना : इसमें दो राय नहीं कि पेले फुटबाल जगत में भगवान् स्वरुप माने जाते हैं । उनके बाद डियागो माराडोना का नंबर आता है और अब लियोनल मैसी उनकी श्रेणी में आ खड़े हुए हैं । यह भी सच है कि मैसी के चाहने वालों की संख्या ज्यादा हो सकती है । खासकर , आज की पीढ़ी उन्हें महानायक मानती है । कौन सर्वश्रेष्ठ है , इसका फैसला होना मुश्किल है लेकिन क़तर विश्व कप के बाद नई बहस शुरू होगी । वह यह कि पेले माराडोना और मैसी में कौन सर्व श्रेष्ठ ?
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |