यह संयोग ही है कि 22 जून के समाचार पत्रों के खेल पेज पर तीन ख़बरें सुर्ख़ियों में थीं और तीनों ख़बरों का सम्बन्ध दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल फुटबाल से है। लीड खबर थी , सुनील क्षेत्री की हैट ट्रिक से भारत ने पकिस्तान को रौंदा ‘, दूसरी है -‘200 इंटरनेशनल मैच खेलने वाले पहले खिलाडी बने क्रिस्टियानो रोनाल्डो , और तीसरी है , यूएस मेजर लीग क्लब मियामी से खेलेंगे लियोनल मेस्सी और प्रतिवर्ष 60 मिलियन अमेरिकी डालर पाएंगे ।’
इन तीन ख़बरों का हालाँकि आपस में बस इतना ही सम्बन्ध है कि क्षेत्री , रोनाल्डो और मेस्सी अपने अपने देशों के स्टार फुटबॉलर हैं और दुनिया के सबसे अनुभवी खिलाडियों में शुमार हैं । यह भी सच है कि उनके पास खेलने का ज्यादा समय नहीं बचा है और कभी भी कोई भी बूट टांगने की घोषणा कर सकता है । ऐसा करने वाला सम्भवतया रोनाल्डो पहले खिलाडी हो सकते हैं या क्षेत्री और मेस्सी भी हो सकते हैं । रोनाल्डो और क्षेत्री 38 साल के हैं जबकि मेस्सी 35 के हैं ।
पिछले बीस सालों से ये तीनों खिलाडी अपने अपने देशों और क्लबों के लिए रिकार्डतोड़ प्रदर्शन करते आ रहे हैं । जैसे जैसे इनकी उम्र बढ़ी , इनके रिकार्ड आगे बढे , इनके बीच तुलना का पैमाना भी बड़ा होता चला गया । खासकर , रोनाल्डो और मेस्सी के बीच लगातार पर्तिस्पर्धा चली आ रही है । कभी एक आगे तो दूसरा कोई करिश्मा कर उसे पीछे कर देता है। अपने देश के लिए सबसे ज्यादा मैच खेलने ,गोल दागने , रिकार्ड कीमत पर क्लब बदलने और क्लब के लिए सर्वाधिक मैच खेलने , गोल जमाने , तिकड़ी जमाने और ढेरों अन्य रिकार्डों को लेकर तुलना होती आई है ।
क़तर वर्ल्ड कप तक मेस्सी और रोनाल्डो के बीच जैसे आँख मिचोली चलती रही लेकिन मेस्सी के देश अर्जेंटीना ने खिताब जीत कर अपने सुपर स्टार का कद बहुत ऊँचा कर दिया । अपने देश को वर्ल्ड कप दिलाने में मेस्सी ने अग्रणी भूमिका निभाई और टूनामेंट का श्रेष्ठ खिलाडी आँका गया । बस यहीं पर आकर दो महान समकालीन खिलाडियों के बीच तुलना को थोड़ा विराम मिला । लेकिन पुर्तगाल के महानतम खिलाडी रोनाल्डो ने देश के लिए 200 वां मैच खेल कर और विजयी गोल जमा कर एक बार फिर से महान खिलाडियों के बीच की तुलना को जीवंत कर दिया है ।
सुनील क्षेत्री भले ही रोनाल्डो और मेस्सी की तरह सफलताएं अर्जित नहीं कर पाए , क्योंकि फुटबाल टीम खेल है और एक टीम के रूप में भारत की हैसियत फिसड्डी देश की रही है , जिसे वर्ल्ड कप , ओलम्पिक और एशियाड तक खेलना नसीब नहीं हो पाता । कमजोर फुटबाल राष्ट्रों के विरुद्ध ही सही सुनील ने करियर के अंत तक गोलों की बरसात का सिलसिला बनाए रखा और अपने परंपरागत प्रतिद्वंद्वी पकिस्तान पर तिकड़ी जमाने का करिश्मा कर दिखाया । उसका यह प्रदर्शन भारतीय फुटबाल प्रेमियों को आनंदित जरूर करता है । ठीक वैसे ही जैसे पुर्तगाल और अर्जेंटीना को अपने फुटबाल सपूतों पर नाज़ है । बेशक , रोनाल्डो और मेस्सी के बीच आज भी तुलना की भरपूर गुंजाईश है लेकिन सुनील के बारे में इतना ही कहा जा सकता है कि आप भारतीय फुटबाल के पेले , माराडोना , मेस्सी और रोनाल्डो हैं । आपने भारतीय फुटबाल को मरने से बचाया है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |