मेरीकॉम की वापसी , अर्थात फिर एक बड़ा सिरदर्द !

mary kom

भारत की सर्व श्रेष्ठ महिला मुक्केबाज पहली ओलम्पिक पदक विजेता पद्मश्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, राज्य सभा सांसद मैंगते चंग्नेइजैंग मेरीकॉम 40 की हो गई है लेकिन उनकी मुक्केबाजी की भूख अभी शांत नहीं हुई है । हाल ही में मेरीकॉम ने एक साक्षात्कार में रिंग पर डटे रहने की इच्छा ज़ाहिर की है । लेकिन किस लिए और क्यों वह जारी रखना चाहती हैं ? इसका जवाब तो खुद मुक्केबाज या उसकी फेडरेशन ही दे सकती है ।

जहां तक मेरीकॉम की बात है तो वह मानती है कि उसके मुक्कों में अभी काफी दमखम बाकी है और रही फेडरेशन कि बात तो वह तो हमेशा से मेरीकॉम के निर्देशों का पालन करती आई है । यह सही है कि वह गज़ब कि लड़ाकू रही है । उसने लम्बे समय तक प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाजों का जोरदार मुकाबला किया और देश के लिए अनेक पदक जीते । छह बार वर्ल्ड चैम्पियन रही, एशियाड और कॉमनवेल्थ खेलों में एक एक स्वर्ण जीते ।। 2012 के लन्दन ओलम्पिक , 2014 के इंचिओन एशियाड और 2018 के गोल्ड कॉस्ट कॉमनवेल्थ खेलों में उसने स्वर्ण पदक जीत कर भारतीय महिला मुक्केबाजी को गौरवान्वित किया ।

अर्थात वह अपना श्रेष्ठ बहुत पीछे और कई साल पहले छोड़ आई है । बाबजूद इसके चार बच्चों कि माँ अब भी ग्लव्स टांगने के लिए तैयार नहीं है । बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में चोट के कारण वह भाग नहीं ले पाई थी लकिन सितम्बर -अक्टूबर 2023 में चीन में आयोजित होने वाले स्थगित एशियाई खेलों में वह फिर से उतरने का मन बना चुकी है । उसने बाकायदा अपने चिर परिचित अंदाज़ में अपनी भारतीय प्रतिद्वन्द्वियों को खबरदार भी कर दिया है ।

उधर दूसरी तरफ भारतीय मुक्केबाजी पर पैनी नज़र रखने वाला एक वर्ग मानता है कि अब मैरीकॉम को बस कर देना चाहिए , क्योंकि उसका श्रेष्ठ 2012 के लन्दन ओलम्पिक में निकल चुका है और बेहतर होता कि वह तब ही संन्यास कि घोषणा कर देती । यदि वह ज़ारी रखना चाहती है तो एक बार फिर से क्वालिफाइंग दौर से गुजरना पड़ेगा , जिसमें उसे कुछ नई और उभरती लड़कियों के साथ साथ स्थापित चैम्पियनों से भी पार पाना होगा । यदि वह कामयाब रहती है तो कमाल होगा ।

भारतीय मुक्केबज़ी की महारानी को करीब से जानने समझने वाले जानते हैं कि वह बला की लड़ाकी है और ज़िद्द पर आ जाए तो उसके आगे किसी की नहीं चलती । उपलब्धियों से लबालब इस मुक्केबाज पर कई उभरती लड़कियों का करियर खराब करने का आरोप भी लगता आया है । कई एक ने आवाज भी उठाई लेकिन फेडरेशन और कोच, खिलाडियों किसी की भी नहीं चली और उसके भार वर्ग की गई मुक्केबाज राष्ट्रीय टीम में स्थान हासिल नहीं कर पाईं । कहा तो यहां तक जाता है कि मेरीकॉम ने अपने दबदबे का गलत इस्तेमाल किया और भारतीय मुक्केबाजी में कई उभरती चैम्पियन उसकी ज़िद्द का शिकार हुईं ।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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