प्रोफेसर निधि मिश्रा भले ही दृष्टि हीन हैं लेकिन उसने जेएनयू से एम फिल और पीएचडी की पढ़ाई के साथ साथ एथलेटिक में भी ऊंचा मुकाम हासिल किया है। 28वर्षीय निधि का जन्म वाराणसी में हुआ और बाद में उसका परिवार गाजीपुर में बस गया। वह जन्मांध नहीं है। स्वयं नेहा के अनुसार आठ साल की उम्र में उसकी आंखों पर यकायक असर पड़ा और फिर धीरे धीरे रोशनी पूरी तरह जाती रही। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और परिवार के सहयोग से ब्लाइंड एथलेटिक में ऊंचा नाम कमाया।
आज यहां थ्यागराज नगर स्पोर्ट्स स्टेडियम में आयोजित तीन दिवसीय “ऊषा नेशनल एथलेटिक चैंपियनशिप फार द ब्लाइंड” के उद्घाटन अवसर पर निधि ने अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में बताया । वह 2023 के एशियाई खेलों में गोला फेंक , डिस्कस और 100 मीटर स्प्रिंट में भाग लेने की पात्रता प्राप्त कर चुकी है लेकिन उसका टारगेट 2024 के पेरिस पैरालंपिक में देश के लिए पदक जीतना और तत्पश्चात ही शादी करना है।
जकार्ता एशियाई खेलों और विश्व स्तर पर पैरा खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली निधि मानती है कि यदि आपका इरादा नेक हो और माता पिता का आशीर्वाद साथ हो तो दिव्यांगता अभिशाप कदापि नहीं हो सकती।
ब्लाइंड एथलेटिक चैंपियनशिप के उद्घाटन अवसर पर सांसद मीनाक्षी लेखी, ओलंपिक पदक विजेता दीपा मलिक, जानी मानी तैराक मीनाक्षी पाहूजा, राधिका भगत राम, ऊषा इंटरनेशनल की कोमल मेहरा आदि ने दिव्यांग खिलाड़ियों के जुनून को सराहा और माना कि भारतीय दिव्यांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
इतिहास शास्त्र में स्वर्ण पदक विजेता निधि पढ़ाई के साथ साथ एथलेटिक में अर्जित कामयाबी का श्रेय अपने परिवार को देती है। खासकर अपने पिता को जिन्होंने हर कदम पर उसे प्रोत्साहित किया। खेल को वह पागलपन की हद तक चाहती है और ताउम्र अपने इस जुनून को बनाए रखेगी।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |