पता नहीं भारतीय खेल संघों के उच्च अधिकारी कब सुधरेंगे या शायद कभी नहीं सुधरेंगे लेकिन गिरावट की तमाम हदें पार करने के बाद भी उनका दुराचरण रुक नहीं पा रहा । कुछ दिन पहले भारतीय ओलम्पिक समिति के कोषाध्यक्ष और हैंडबाल फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष आनंदेश्वर पांडे को लेकर बहुत कुछ कहा सुना गया, उनके वीडियो भी वायरल हुए । उनसे पहले साइकिलिंग फेडरेशन के कोच और सपोर्ट स्टाफ पर महिला खिलाडियों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगा । इस कड़ी में देश के एक जाने माने तैराक और उच्च अधिकारी पर भी गंभीर आरोप लगे और उन्होंने जैसे तैसे सेटिंग बैठा कर खुद को बचा लिया ।
ताजा विवाद उस विशुद्ध भारतीय खेल का है जिसने विश्व खेल मानचित्र पर अभी हलकी पहचान भी नहीं बनाई है और वैश्विक स्तर पर अभी इस खेल के दूध के दांत भी नहीं टूटे हैं लेकिन मलखम्ब नाम के इस खेल के शीर्ष अधिकारी के खिलाफ 7 लड़कियां लामबंद हुई है और उन्होंने रमेश इंडोलिया नाम के अपने अध्यक्ष को कटघरे में ला खड़ा किया है । ज़नाब रमेश साहब पर यौनाचार के आरोप लगाए गए हैं । हालाँकि वे मुकर रहे हैं और दो फाड़ हो चुकी अपनी फेडरेशन के विरोधियों की साजिश बता रहे हैं लेकिन इतना तय है कि मलखम्ब एक लोकप्रिय खेल बनने से पहले ही तमाशा बन गया है ।
तारीफ़ की बात यह है कि अध्यक्ष महोदय अंतर्राष्ट्रीय मलखम्ब फेडरेशन के भी अध्यक्ष हैं लेकिन जिस खेल को सरकार और देश का खेल मंत्रालय लगातार प्रोमोट कर रहा है उस पर कालिख पोत दी गई है और यह शुभकार्य खुद खेल के तथाकथित पोषक और अब हत्यारा कहे जा रहे रमेश बाबू के हाथों संपन्न हुआ है । जिन लड़कियों ने अपने अध्यक्ष के विरुद्ध खड़े होने का सहस दिखाया है उनमें से ज्यादातर स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियां है । ज़ाहिर है देश कि खेल व्यवस्था , गुरुओं और कोचों पर से विश्वास उठता जा रहा है ।
चूँकि इस खेल को खुद देश की सरकार गंभीरता से ले रही है और खेल मंत्रालय भी चाहता है कि कबड्डी और खोखो की तरह मलखम्ब को बड़ी पहचान मिले इसलिए अपरधियों को कड़े दंड की उम्मीद की जा रही है । लेकिन भारतीय खेलों का दुर्भाग्य है कि ज्यादातर मामले कुछ दिनों तक उछलने के बाद दबा दिए जाते हैं शिकायतकर्ताओं को डरा धमका कर या कोई लालच दे कर खामोश कर दिया जाता है । यह न भूलें कि पूर्व एआईएफएफ सचिव के विरुद्ध भी उनके स्टाफ की महिला कर्मियों ने आवाज बुलंद की लेकिन सब कुछ एआईएफएफ के गड़बड़झालों में दब कर रह गया ।
भारत सरकार योग और मलखम्ब जैसे शुद्ध भारतीय खेलों को पूरी दुनिया के खेल बनाने के लिए प्रयासरत है और ओलम्पिक खेल का दर्जा पाने के लिए कटिबद्ध है । ऐसे में खेल को संचालित करने वाली इकाई के प्रधान पर लगे गंभीर आरोप खेल बिगाड़ भी सकते हैं । वैसे भी मलखम्ब फेडरेशन में सालों से गुटबाजी चल रही है और दो अलग अलग गुट अपना अपना दावा कर रहे हैं । खेल कोड 2011 की अनदेखी करने की सजा यह फेडरेशन पहले ही भुगत रही है ।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |