दिल्ली को पहली बार राष्ट्रीय खो-खो चैम्पियनशिप के आयोजन का दायित्व सौंपा गया है, जिसमें 37 राज्यों के 1332 खिलाड़ी भाग लेंगे। भारतीय खो-खो फेडरेशन के महासचिव एम.एस. त्यागी के अनुसार, राजधानी के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम के केडी जाधव इंडोर हॉल में खेले जाने वाली 56वीं राष्ट्रीय महिला-पुरुष चैम्पियनशिप में भाग लेने के लिए सभी राज्यों के खिलाड़ी पूरी तरह तैयार हैं। इस अवसर पर भारतीय खो-खो फेडरेशन के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल और आयोजन समिति के चेयरमैन सांसद रमेश विधूड़ी ने खो-खो की बढ़ती लोकप्रियता के बारे में बताया और कहा कि अब देश में कबड्डी के साथ-साथ खो-खो को पसंद किया जा रहा है।
सुधांशु मित्तल के अनुसार, कबड्डी की तरह खो-खो भी आम भारतीयों का खेल है, जो कि युवाओं को फिटनेस और चरित्र निर्माण में मदद करता है। सुधांशु मित्तल ने बताया कि खो-खो को सरकारी मान्यता प्राप्त है। उनकी फेडरेशन खो-खो विश्व चैम्पियनशिप के आयोजन को लक्ष्य बनाए हुए हैं। फिलहाल दुनिया के 37 देश इस खेल को गंभीरता से खेल रहे हैं। यह खेल एशियाड में कब शामिल होगा, इस सवाल का जवाब देने में उन्हें कुछ देर सोचना जरूर पड़ा लेकिन पूरी आत्मविश्वास के साथ कहा कि जल्दी ही आप लोगों तक खुशखबरी पहुंचने वाली है।
संवाददाता सम्मेलन में आयोजन समिति के चेयरमैन अमित मल्ला और दिल्ली खो-खो एसोसिएशन के महासचिव एस.एस. मलिक भी मौजूद थे। उनके अनुसार, दिल्ली पहली बार मेजबानी करने के साथ-साथ शीर्ष तीन टीमों में जगह बनाने का प्रयास करेगी। पुरुष वर्ग में रेलवे और महिला वर्ग में एयरपोर्ट अथॉरिटी पिछले विजेता हैं। दोनों वर्गों में महाराष्ट्र उप-विजेता रहा था।
रमेश विधूड़ी ने खो-खो के खेल को जमकर सराहा लेकिन लगे हाथों क्रिकेट के अनावश्यक दबदबे को सरासर गलत करार दिया। उनकी राय में क्रिकेट विशुद्ध भारतीय खेलों पर भारी पड़ रहा है। मीडिया से उन्होंने गुहार लगाते हुए खो-खो को बढ़ावा देने का आग्रह भी किया।
फेडरेशन अध्यक्ष ने यह भी बताया कि 4,000 खो-खो खिलाडी सरकारी नौकरियां पा चुके हैं। लेकिन अन्य मान्यता प्राप्त खेलों की तरह सरकारी ग्रांट मिल रही है या नहीं, स्पष्ट उत्तर नहीं दिया।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |