देर से ही सही भारतीय पहलवानों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है। खासकर वे पहलवान संतुष्ट नजर आ रहे हैं जिन्होंने हांगझोऊ एशियाई खेलों में भाग लेने की पात्रता प्राप्त कर ली है। पिछले कई महीनों से कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह के विरुद्ध चल रही यौन शोषण की लड़ाई पर हल्का विराम लगा हुआ है और अब कुश्ती हलकों में एशियाई खेलों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। फिरभी एक ज्वलंत विषय कुश्ती प्रेमियों के दिल दिमाग में बार बार गूंज रहा है। कल तक भारतीय कुश्ती यौन शोषण और आंदोलनकारियों को एशियाड में सीधे प्रवेश के इर्द गिर्द घूम रही थी लेकिन अब ओलंपिक पदक विजेता रवि दहिया का फ्लाप शो बड़ी खबर बन गया है। कुछ कुश्ती प्रेमी इस प्रकरण में गंदी राजनीति भी तलाश रहे हैं।
छह आंदोलन कारी पहलवानों के आग्रह पर चयन ट्रायल की तिथि बदली गई । हालांकि एशियाड और ओलंपिक क्वालीफायर के मुकाबले हमेशा से चुनौतीपूर्ण और कभी कभार लड़ाई झगडे वाले रहे हैं लेकिन इस बार बेहद आक्रामक और माहौल होने के बावजूद सब कुछ शांति के साथ निपट गया। अध्यक्ष ब्रज भूषण पर आरोप लगाने वाले छह पहलवानों को ट्रायल में सुविधा देने को लेकर बाकी पहलवान और उनके कोच खासे नाराज थे यह नाराजगी तब ज्यादा बढ़ गई जब ओलंपिक रजत पदक विजेता रवि दहिया को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ गया।
टोक्यो में पदक जीतने के बाद शांत चित्त और विवादों से दूर रहने वाले रवि को एशियाड और ओलंपिक गोल्ड के दावेदारों में शुमार किया जा रहा था। शायद ही किसी ने उम्मीद की होगी कि 57 किलो वर्ग में वह महाराष्ट्र के आतिश तोड़कर के सामने हथियार डाल देगा। एक समय 6- 4 की बढ़त बनाने के बाद वह 8-20 के स्कोर से बाय फॉल हो गया। उसकी पराजय को ट्रायल का सबसे ज्यादा हैरान करने वाला नतीजा माना जा रहा है। इसके साथ ही एक नया विवाद भी उठ खड़ा हुआ है। बहुत से कुश्ती प्रेमी पूछ रहे हैं कि देश के श्रेष्ठ पहलवान को ट्रायल से छूट क्यों नहीं दी गई? इसलिए क्योंकि वह विवादों से दूर रहता है और उसका कोई खैर ख्वाह नहीं है?
हालांकि भारतीय कुश्ती दल तय हो गया है लेकिन रवि दहिया की विफलता औरदोआंदोलकारी पहलवानों का सीधा प्रवेश रिकार्ड पुस्तिकाओं में दर्ज हो गया है। देश के ज्यादातर पहलवान और कुश्ती जानकार हैरान हैं और जानना चाहते हैं कि रवि को छूट क्यों नहीं दी गई? वह न सिर्फ अच्छा पहलवान है विवादों से भी दूर रहता है। यह सफाई देना कि घुटने की चोट के कारण वह नाकाम रहा , तर्क संगत नहीं लगता।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |