पिछले कुछ समय से प्रचार माध्यम एशिया के सबसे पुराने और विश्व के दूसरे ऐतिहासिक फुटबाल टूर्नामेंट को जम कर प्रचारित कर रहे हैं। इस टूर्नामेंट की मार्फत भारतीय फुटबाल को फिर से जीवित करने और डूरंड कप को ऑक्सीजन देने की मंशा से फुटबाल फेडरेशन और आयोजक भारतीय सेना के प्रयास सराहनीय हैं। लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि डूरंड कप बदहाली का शिकार कैसे हुआ ?
देखा जाए तो डूरंड कप का हाल भी भारतीय फुटबाल जैसा है। जो देश कभी एशिया में चैंपियन था, जिसने दो बार एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक जीते और जिसने ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन किया उसकी फुटबाल का ग्राफ कैसे गिरा? कैसे देश के कई बड़े छोटे नामी टूर्नामेंट बंद हुए या जैसे तैसे चल रहे हैं, जिनमें से डूरंड कप प्रमुख हैं। एक जमाना था जब डूरंड कप में खेलना किसी खिलाड़ी का सपना होता था। संयोग से लेखक को भी राजधानी के चैंपियन गढ़वाल हीरोज की ओर से डूरंड कप में खेलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । तब दिल्ली की दो से चार टीमें इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भाग लेती रहीं। वक्त के साथ साथ भारतीय फुटबाल ने उल्टी चाल पकड़ी, प्रदर्शन में गिरावट का सिलसिला शुरू हुआ और भारतीय फुटबाल एशिया के नक्शे पर बेहद कमजोर देश बन कर रह गई। इस कमजोरी और गिरावट का असर राष्ट्रीय आयोजनों पर भी पड़ा , जिसके शिकार देश के कई बड़े आयोजन हुए जिनमे दिल्ली में आयोजित होने वाला डीसीएम कप और डूरंड कप प्रमुख थे।
चूंकि भारतीय फुटबाल का पतन रोके नहीं रुक पा रहा था इसलिए अस्सी के दशक के बाद तमाम आयोजन प्रभावित हुए। डूरंड और डीसीएम कप के चलते दिल्ली का अंबेडकर स्टेडियम फुटबाल प्रेमियों से भरा होता था। कोलकाता के मोहन बागान, ईस्ट बंगाल, मोहम्मडन स्पोर्टिग, गोरखा ब्रिगेड, पंजाब पुलिस, आरएसी बीकानेर, आंध्रा पुलिस, जेसीटी फगवाड़ा, दक्षिण भारत, महाराष्ट्र, गोवा, सेना और पुलिस की अनेक नामी टीमों के अलावा ईरान, ऑस्ट्रेलिया और कोरिया आदि देशों के बड़े क्लब इन आयोजनों में भाग लेने आते थे। सेना की देखरेख आयोजित होने वाले डूरंड कप में मेजबान दिल्ली के बड़े क्लबों शिमला यंग , यंगस्टर्स , गढ़वाल हीरोज आदि को भी भाग लेने का अवसर मिला , जिनमें शिमला यंग का प्रदर्शन यादगार रहा, जिसने सेमीफाइनल तक पहुंचने का शानदार रिकार्ड बनाया।
डूरंड कप भले ही दिल्ली से दूर हो गया है और कई शहरों की खाक छान चुका है लेकिन राजधानी के फुटबाल प्रेमियों के दिल दिमाग में इस ऐतिहासिक टूर्नामेंट की यादें आज भी जिंदा हैं। इस आयोजन का 133 वाँ संस्करण इस बार कोलकाता, जमशेदपुर, शिलांग और कोकराझार में आयोजित किया जाना है। 27 जुलाई से 31 अगस्त तक खेले जाने वाले इस आयोजन में आईएसएल, आई लीग, स्टेट लीग में खेलने वाली और कुछ अन्य टीमें भाग लेंगी देखते हैं यह प्रयोग कहां तक सफल होता है या सबसे पुराने टूर्नामेंट के साथ कोई नया मजाक होने जा रहा है!
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |