विश्व कप में भाग लेने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम में कप्तान रानी रामपाल का नाम नहीं होने पर हॉकी जगत में खुश फुसाहत चल रही है। कोई कह रहा है की वह फार्म में नहीं है तो कुछेक कह रहे हैं कि वह चोटिल है और उसे रेस्ट दिया गया है। टीम के करीबी अधिकारी और हॉकी के चाहने वाले अपने अपने हिसाब से रानी की चोट के बारे में बयान बाजी कर रहे हैं। रानी को बाहर रखने पर कुछ लोग तो बौखलाए हुए हैं।
बेशक रानी एक बेहतरीन खिलाडी है और कुछ समय से फ़ार्म में नहीं चल रही जिस कारण से उसे आराम दिया गया है। लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जिसे लगता है की उसे विदाई देने की तैयारी चल रही है। यदि ऐसा है तो हैरान होने वाली बात नहीं है क्योंकि इस प्रकार के फैसले प्राय लिए जाते रहे हैं।
शाहबाद के एक साधारण परिवार से निकलकर वह द्रोणाचार्य कोच बलदेव सिंह कि शिक्षा दीक्षा से महान खिलाडी बनीं। भारतीय टीम की कप्तान चुना जाना, ओलम्पिक खेलने कि पात्रता पाना और टोक्यो ओलम्पिक में चौथे पायदान पर रहना उनकी और देश कि बड़ी उपलब्धि रही है। बदले में देश ने उन्हें अर्जुन अवार्ड, खेल रत्न और पद्मश्री जैसे सम्मान दिए। ऐसे सम्मान जोकि कई ओलम्पिक चैम्पियनों और विश्व विजेताओं को नहीं मिल पाए।
कुछ लोगों को लगता है कि रानी फिट नहीं है या किसी प्रकार कि चोट से ग्रसित है तो भारतीय हॉकी के जी हुजरों के पेट में मरोड़े क्यों पड़ रहे हैं? जिस खिलाडी को देश कि कप्तानी मिली, बिना किसी ओलम्पिक पदक जीते सबसे बड़ा खेल सम्मान मिल गया, उसकी गैर मौजूदगी को लेकर हुड़दंग मचाना कहाँ तक ठीक है? मात्र 28 साल की उम्र में ही रानी को सर्व कालीन श्रेष्ठ खिलाडी का दर्जा मिल गया। भले ही उसके पास अभी उम्र है, लेकिन रानी और उसके प्रशंसकों को यह जान लेना चाहिए कि हर खिलाडी को एक न एक दिन रिटायर होना ही पड़ता है। रानी में यदि सचमुच अभी और हॉकी बची है और वह जूनियर खिलाडियों से बेहतर कर सकती है तो उसे मौके मिलने चाहिए। यह न भूलें कि इस देश में कई खिलाडियों ने बार बार वापसी की और खुद को साबित भी किया। रानी चूँकि बड़ा नाम है इसलिए उसे कोई रोक नहीं सकता।
गेंद फिर से हॉकी इंडिया और उसके गोर कोचों के पाले में है| उन्हें तय करना है कि आगामी कॉमनवेल्थ खेलों और एशियाड के लिए कैसी टीम तैयार करनी है। उन्हें यह भी पता होगा कि पेरिस ओलम्पिक के लिए दो साल बचे हैं, जिसके लिए बाकी देश अभी से तैयारी में जुटे हैं। बेशक, रानी और उनके उम्र की खिलाडियों को अपनी फिटनेस को बनाए रखना होगा वर्ना मौका ताड़ रही छोटी उम्र की लड़कियां आगे निकल सकती हैं।
कुल मिला कर खिलाडियों के चयन और उनको बाहर किए जाने पर राजनीति नहीं होनी चाहिए
खेल जानकार, विशेषज्ञ और भुक्तभोगी जानते हैं कि उम्र कि धोखाधड़ी में हम नंबर वन देश हैं। खेल चाहे कोई भी हो उम्र को घटाने बढ़ाने के खेल में हमारा कोई सानी नहीं है| लेकिन जो खिलाडी बढ़ती उम्र के बावजूद बेहतर कर रहा है तो उसकी अनदेखी कदापि नहीं होनी चाहिए। रानी को भी चाहिए की मायूस न हो और थोड़ा इन्तजार करे। वर्ल्ड कप में यदि भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा तो उसकी वापसी कठिन हो सकती है लेकिन कसौटी पर खरे नहीं उत्तर पाए तो फिर से टीम में जगह मिल सकती है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |