आईपीएल के बाद डब्लूपीएल : बाकी खेलों की छाती पर क्रिकेट का तांडव!

IPL and WPL now the problem is bigger for other games

भले ही भारतीय ओलम्पिक खेलों ने क्रिकेट से पहले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के ‘लीग’ मुकाबलों का आयोजन शुरू किया लेकिन ज्यादातर खेलों के आयोजन दम तोड़ चुके हैं या घिसट घिसट कर चल रहे हैं । लेकिन क्रिकेट की इंडियन प्रीमियर लीग आज देश के तमाम खेलों की छाती पर चढ़ कर कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ रही है और अब जबकि महिला प्रीमियर लीग का बिगुल बज चुका है , बाकी खेलों का रहा सहा दम भी निकलता नज़र आ रहा है ।

इसमें कोई शक नहीं कि मर मर कर जीवित होने का ढोंग रचने वाले बाकी भारतीय खेलों की क्रिकेट से कभी नहीं पटी । हॉकी, फुटबाल, एथलेटिक, तैराकी, कुश्ती, मुक्केबाजी और अन्य खेलों को लगता है कि क्रिकेट उनकी प्रगति की राह में रोड़ा है। जब जिसका जी चाहा अपनी नाकामी का ठीकरा क्रिकेट पर फोड़ देते थे । लेकिन क्रिकेट अपनी रफ़्तार से आगे बढ़ती रही और आज उस मुकाम पर पहुँच गई है , जिसके बारे में बाकी भारतीय खेल कभी सोच भी नहीं सकते ।

यह तय है कि आईपीएल के बाद अब डब्लूपीएल ने बाकी भारतीय खेलों की रही सही उम्मीद भी तोड़ दी है । खासकर , मीडिया उन्हें अब बिलकुल भी नहीं पूछने वाला । हाँ ओलम्पिक में यदि कोई खिलाडी या खेल करिश्मा कर दे तो बात अलग है । देश के चाटुकार टीवी चैनलों को खेलों से कोई लेना देना कभी नहीं रहा और प्रिंट मीडिया तो सालों से क्रिकेट चाटने, चटवाने में लगा है । चूँकि क्रिकेट अब साल भर चलने वाला खेल बन गया है, ऐसे में बाकी भारतीय खेलो को जगह शायद ही मिले ।

इसमें कोई शक नहीं कि आईपीएल ने क्रिकेट की लोकप्रियता को सातवें आसमान तक पहुंचा दिया है , विश्व क्रिकेट के स्वरुप को बदल दिया है। दूसरी तरफ बाकी खेलों की लीग उस खेल का कलंक बन कर रह गईं । हॉकी, फुटबाल , बैडमिंटन , कुश्ती , कबड्डी , खो खो , वॉलीबॉल , बास्केट बॉल, बॉक्सिंग आदि खेलों ने लीग आयोजन की शुरुआत जरूर की लेकिन ज्यादातर आयोजन ठप्प पड़े हैं या जैसे तैसे चल रहे हैं ।

क्रिकेट ने अपना साम्राज्य अपने दम पर खड़ा किया है जबकि बाकी खेल सरकारी पैसे पर पलते आ रहे हैं । क्रिकेट में पुरुष खिलाडी करोड़ों में खेल रहे हैं । अब महिलाऐं भी उनके साथ आ खड़ी हुई हैं और मान, सम्मान, प्रतिष्ठा और पैसे के मामले में पुरुष खिलाडियों को टक्कर देने के लिए तैयार हैं । क्या बाकी खेलों के ठेकेदार क्रिकेट से कोई सबक लेना चाहेंगे ?

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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