भारतीय फुटबाल : रैंकिंग में गिरावट स्तर गिरने जैसा

Indian football Standard is getting down

पूर्व विश्व चैम्पियन और अंतर्राष्ट्रीय फुटबाल में बड़ा नाम रखने वाला ब्राज़ील कुछ सप्ताह बाद होने वाले फीफा वर्ल्ड कप में शीर्ष रैंकिंग के साथ उतरेगा । चूँकि क़तर वर्ल्ड कप नजदीक है इसलिए तमाम अग्रणी फुटबाल राष्ट्र अंतिम तैयारी में जुटे हैं । जहां तक भारत की बात है तो फुटबाल की बड़ी खबर यह है कि हेड कोच इगोर स्टीमक का अनुबंध एशिया कप 2023 तक के लिए बढ़ा दिया गया है ।

फीफा की नई घोषित रैंकिंग से पहले भारतीय फुटबाल को 104 वीं रैंकिंग प्राप्त थी लेकिन दोस्ताना मुकाबलों में सिंगापुर से 1-1 से ड्रा खेलना और विएतनाम से ०- 3 से हारने के कारण भारत की रैंकिंग गिरी है । जहाँ तक भारत की सबसे ऊंची फीफा रैंकिंग की बात है तो 1996 में भारत 94 वे स्थान पर था ।

1992 में जब पहली बार फीफा ने रेंग सिस्टम शुरू किया तो भारत 143 वे स्थान पर काबिज था । आईएम विजयन , सत्येन, जो पाल अंचेरी और बाई चुंग भूटिया जैसे खिलाडियों के प्रदर्शन से रैंकिंग में सुधार हुआ लेकिन किसी बड़े आयोजन में भारत को भाग लेने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ । भारतीय खिलाडियों की कामयाबी सैफ कप जीतने तक सीमित रही । भारतीय फुटबाल के टॉप स्कोरर सुनील क्षेत्री के अवतरण के बाद से छुट पुट सफलताएं जरूर मिलीं लेकिन एशियाड , ओलम्पिक और वर्ल्ड कप में खेलने का सपना धरा का धरा रह गया ।

उस समय जबकि भारतीय फुटबाल अपने शबाब पर थी , तब फीफा रैंकिंग अस्तित्व में नहीं आई थी । वह दौर ब्राज़ील, अर्जेंटीना, इंग्लैण्ड, जर्मनी, जैसे देशों के दबदबे का था, जोकि अब तक जारी है। तब एशियन फुटबाल में भारत को बड़ी ताकत माना जाता था । 1951 और 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत कर भारत ने महाद्वीप में खुद को स्थापित किया लेकिन तत्पश्चात भारतीय फुटबाल पिछड़ती चली गई ।

फुटबाल फेडेशन की गलत नीतियों और दूरदृष्टि की कमी के चलते इतना पिछड़ गए कि अब फिर से टॉप
पर आने में वर्षों लग सकते हैं । इसलिए क्योंकि पिछले कुछ सालों में अनेक छोटे और कम साधन सुविधाओं वाले देश भी बड़ी ताकत बन कर उभरे हैं । हालाँकि भारतीय खिलाडियों को विदेशी कोच पढ़ा सिखा रहे हैं लेकिन उनके आने के बावजूद भी स्तर में सुधार नहीं हुआ । नतीजन रैंकिंग भी गिर रही है ।

वैसे तो फीफा रैंकिंग में सुधार के मायने प्रदर्शन में सुधार की गारंटी कदापि नहीं है , क्योंकि कई टॉप रैंकिंग वाले देश वर्ल्ड कप के लिए कॉलिफाई नहीं कर पाए हैं , जिनमें फुटबाल का पावर हाउस इटली भी शामिल है । लेकिन जब भारतीय खिलाडी नेपाल, बांग्लादेश, अफगानिस्तान जैसी टीमों के सामने असहाय नज़र आते हैं तो अपने फुटबाल पर बहुत तरस आता है । देखना यह होगा कि एआईएफएफ की नई और युवा टीम
प्रदर्शन और रैंकिंग में सुधार के लिए क्या नया करती है !

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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