सिंगापूर और विएतनाम के विरुद्ध दोस्तान ही सही लेकिन भारतीय फुटबाल टीम ने जैसा प्रदर्शन किया उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है , “हम नहीं सुधरेंगे”। भारतीय खिलाडियों ने बेहद निचली फीफा रैंकिंग वाली सिंगापूर के विरुद्ध जैसा प्रदर्शन किया था उसे देख कर अनुमान लगाया जा चुका था कि मुकाबला बाहुबली वियतनाम से है । भला हो गोलकीपर गुरप्रीत का जिसने कमसे कम आधा दर्ज़न सुन्दर बचाव कर भारतीय फुटबाल पर ज्यादा कालिख पुतने से रोक ली ।
अपनी टीम और अपने खिलाडियों की आलोचना से दुःख होता है लेकिन जो टीम पिछले तीस सालों से हार रही है उसके बारे में और कहा भी क्या जा सकता है । यह न भूलें कि 12 साल पहले भारत ने पुणे में विएतनाम को 3 -1 से हराया था । अर्थात भारतीय फुटबाल का लगातार पतन हो रहा है । पता नहीं गिरावट का सिलसिला कहाँ जाकर रुकेगा लेकिन आम भारतीय फुटबाल प्रेमी ने अपनी फुटबाल के बारे में सोचना समझना लगभग बंद कर दिया है ।
जहाँ तक दो दोस्ताना मैचों कि बात है तो 172 वे रैंकिंग वाले सिंगापूर के विरुद्ध किया गया लचर प्रदर्शन अगले मैच के नतीजे की कहानी बयान कर चुका था और जिसका डर था वही हुआ भी । भले ही कोच इगोर स्टिमैक कुछ भी सफाई दें, बहाना बनायें लेकिन कडुवा सच यह है कि भारतीय खिलाडियों में दम नहीं है, कोच और सहायक स्टाफ के पास भी कोई जादूकी छड़ी नजर नहीं आती । यही कारण है कि ज्यादातर फुटबाल जानकार, पूर्व खिलाडी और कोच कह रहे हैं कि जरुरत पूरी टीम को बदलने और जीरो से शुरू करने की है ।
यह सही है की हमारे पास सुनील क्षेत्री और गुरप्रीत जैसे भरोसे के खिलाडी हैं । लेकिन 38 साल का क्षेत्री और कब तक अकेला लड़ता भिड़ता रहेगा ? उसके रिटायरमेंट का समय आ चुका है । उसने अपना दाइत्व बखूबी निभाया लेकिन वियतनामी रक्षापंक्ति ने संकेत दे दिया है कि अब मैदान छोड़ने का वक्त आ चुका है । हालांकि दो मैचों में खराब प्रदर्शन से भारतीय टीम का आकलन ठीक नहीं होगा लेकिन साल दर साल और दिन पर दिन भारत फुटबाल नक़्शे से बाहर हो रहा है । बांग्ला देश, अफगानिस्तान और नेपाल जैसी टीमें भी भारत पर भारी पड़ने लगी हैं ।
“यह सही है कि भले ही भारतीय फुटबाल फेडरेशन भ्र्ष्टाचार में डूबी रही लेकिन पुरुष और महिला राष्ट्रीय टीमों को पैसे और एक्सपोजर की कमी कभी नहीं रही । लगातार पतन के बावजूद देशवासियों के खून पसीने की कमाई इस टीम पर लुटाई गई लेकिन कभी भी ऐसा वक्त नहीं आया जब देश के फुटबाल प्रेमियों का सर फक्र से ऊँचा उठा हो “, एक पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाडी की इस टिप्पणी से तो यही कहा जा सकता है कि भारतीय फुटबाल लाइलाज हो गई है ।
देश के फुटबाल प्रेमी, पूर्व खिलाडी और कोच कह रहे हैं कि एआईएफएफ की नयी टीम को सड़ी गली फुटबाल को लात मार कर ग्रास रूट से शुरुआत करनी चाहिए । यह नेक शुरुआत आज और अभी से की जाए तो अगले दस बीस सालों में भारत महाद्वीप की फुटबाल में ताकत बन सकता है । यदि शीघ्र गंभीरता नहीं दिखाई गई तो हालात बाद से बदतर हो सकते हैं और जीरो फुटबाल गोल गोल घूमती रहेगी ।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |