राजेंद्र सजवान
‘भारतीय महिला फुटबाल टीम नेपाल से हार कर सैफ महिला फुटबाल चैम्पियनशिप से बाहर हो गई । उधर सैफ कप जीतने वाली पुरुष टीम को ग्रुप मैच में नेपाल से हार का सामना करना पड़ा । बाद में इसी टीम ने हिसाब चुकता करते हुए नेपाल को हराया और सैफ कप जीत लिया’ । वैसे तो इन खबरों को भारतीय खेल प्रेमी ज्यादा महत्व नहीं देते लेकिन जब एक पिद्दी सा देश भारत को किसी भी खेल में हराता है तो आम भारतीय शर्मसार जरूर होता होगा । यह बात अलग है कि अपने देश में बहानेबाजों का एक ऐसा बड़ा वर्ग तत्काल प्रतिक्रिया देगा कि हार जीत खेल का हिस्सा हैं ।
जी हाँ, परिणाम खेल का हिस्सा है और यह भी सच है कि 140 करोड़ की आबादी वाला देश जब अपने किसी छोटे से प्रदेश की आबादी वाले देश देश से हारता है तो एक सच्चे देशभक्त और अच्छे खेल प्रेमी का खून जरूर खौलता होगा । वह अपनी फुटबाल और देश के खेल आकाओं को बुरा भला भी कहता होगा । यह न भूलें कि सरकार और धनाढ्य वर्ग भारतीय खेलों पर लाखों करोड़ों खर्च कर रहे हैं लेकिन जब फिसड्डी देशों और टीमों के हाथों हार की खबरें पढ़ने सुनने को मिलती हैं तो आम खेल प्रेमी का गुस्सा वाज़िब है ।
भले ही भारतीय फुटबाल का कभी नाम था और हमारे खिलाडियों ने दो बार एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत कर बड़ा यश कमाया था जिसे पूरी तरह डुबो दिया गया है । चार ओलम्पिक खेलने का सम्मान भी अब धूमिल हो चूका है । आज भारतीय फुटबाल की हैसियत सिर्फ दक्षिण एशियाई देशों के दादा जैसी है जिस पर नेपाल, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, म्यंमार जैसे देश लगातार सेंध मारते आए हैं । इसमें दो राय नहीं कि कुछ एक लाख की आबादी वाले देश विश्व फुटबाल में बड़ा कमाल कर रहे हैं लेकिन भारत जैसा देश शायद ही कोई दूसरा होगा जिसने हॉकी की बादशाहत और फुटबाल के बेहतर प्रदर्शन पर कालिख पोतने जैसा काम किया होगा ।
इसमें दो राय नहीं कि अखिल भारतीय फुटबाल फेडरेशन देश की फुटबाल को डुबोने के लिए सबसे बड़ी अपराधी है | खासकर, स्वर्गीय दास मुंशी और प्रफुल्ल पटेल की सारी योजनाएं और तिकड़मबाजियां धराशाही हुईं और भारतीय फुटबाल का इतिहास पूरी तरह मैला कर दिया गया | लेकिन अब चूँकि ‘सांप’ निकल गया है इसलिए लाठी पीटने से कोई फायदा नहीं होने वाला। जरुरत इस बात की है कि नयी और युवा टीम फुटबाल के हित में कुछ ऐसी योजनाएं लेकर आए , जिनसे दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र को फुटबाल बिरादरी में सम्मान मिल सके । यह न भूलें कि अन्य खेलों में भले ही हम शहंशाह बन जाएं लेकिन जो देश फुटबाल में दमदार है उसे दुनिया सलाम करती है क्योंकि यही है दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल , जिसकी हस्ती को अमेरिका, रूस, चीन जैसी महाशक्तियां भी चुनौती नहीं दे पातीं और जहां पेले और माराडोना जैसे गरीब देशों के खिलाडी श्रेष्ठ आंके जाते हैं ।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |