एएफसी एशियन कप फुटबाल, 2024 में भारतीय फुटबाल टीम को कठिन ग्रुप में जगह मिली है, लेकिन भारतीय टीम ग्रुप की अन्य टीमों को आघात पहुंचा सकती है । भारतीय फुटबाल टीम के चीफ कोच इगोर इस्तिमास का ऐसा मानना है । भारत के पूल में सबसे दमदार टीम ऑस्ट्रेलिया है जिसकी विश्व रैंकिंग 29 वे नंबर की है । अन्य दो टीमें उज़्बेकिस्तान(74) और सीरिया (90) हैं । फीफा रैंकिंग के हिसाब से तो भारत (101)को वाकई कठिन ग्रुप में स्थान मिला है ।
पूर्व क्रोशियाई कोच का बयान सच्चाई पर आधारित जरूर है लेकिन देश के फुटबाल प्रेमियों को निराश करने वाला भी माना जा रहा है । इसमें दो राय नहीं कि ऑस्ट्रेलिया बेहद मज़बूत टीम है और उससे पार पाना आसान नहीं होगा लेकिन उज्बेकिस्तान और सीरिया की फीफा रैंकिंग बेहतर होने के बावजूद उनसे लड़ा जा सकता है। इगोर को यह नहीं भूलना चाहिए कि फुटबाल इतिहास में अनेक अनजान टीमों ने बड़े बड़े उलटफेर किए हैं । पिछले वर्ल्ड कप में सऊदी अरब (54)ने अर्जेंटीना को हरा कर तहलका मचा दिया था , बाद में यही अर्जेंटीना वर्ल्ड चैम्पियन बनी ।
देश के फुटबाल जानकारों और एक्सपर्टस की राय में भारतीय राष्ट्रीय फुटबाल कोच ने लड़ाई से पहले ही हथियार दाल दिए हैं। खुद इगोर कह रहे हैं कि उन्हें अन्य टीमों के कोचों ने भरोसा दिलाया है कि भारतीय टीम बेहद अनुशासित है और टफ फाइट दे सकती है । अर्थात भारतीय टीम का मनोबल ड्रा के साथ ही गिर गया है जिसे उठाने के लिए फुटबाल फेडरेशन और कोच को कोई राह
निकालनी होगी। जहां तक उज्बेकिस्तान औऱ सीरिया की बात है तो उनसे निपटना मुश्किल हो सकता है असंभव कदापि नहीं है । वैसे भी फीफा रैंकिंग भरोसे पर कम ही खरी उतर पाती है।
भारतीय फुटबाल टीम की कामयाबी इस बात पर निर्भर करती है कि देश में किस स्तर के खिलाडी उपलब्ध हैं और उनका चयन कितनी ईमानदारी के साथ किया जाता है । हालाँकि देश में आईएसएल , आई
लीग ,और खेलो इंडिया जैसे प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं लेकिन खिलाडियों की फौजें तैयार करने का दावा करने वाले सुनील क्षेत्री पर आकर रुक जाते हैं । सब जूनियर और जूनियर स्तर के बहुत से खिलाडियों पर प्रतिभवान होने का तमगा पहनाने वाली व्यवस्था 20 साल से क्षेत्री का विकल्प नहीं ढूंढ पाई है । उसके जैसे पांच सात खिलाडी होते तो शायद भारत भी सऊदी अरब जैसा उलटफेर कर सकता था ।
बेहतर होगा कोच इगोर और उनके खिलाडी एशियन कप के ड्रा पर ध्यान देने की बजाय कम से कम दो मैच जीतने का लक्ष्य लेकर चलें और नकारात्मक बयानबाजी से खिलाडियों का मनोबल न तोड़ें। यह न भूलें कि 2047 में फीफा वर्ल्ड कप खेलने का सपना देखने वालों को पहले एशियन कप और एशियाड की बाधाओं को पार पाना होगा ।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |