फुटबाल विश्व कप के चलते फुटबाल की बात कर ली जाए तो भारतीय फुटबाल के लिए बेहतर रहेगा। वरना फीफा वर्ल्ड कप के निपटते ही भारत में फुटबाल की दीवानगी भी जाती रहेगी और राष्ट्रीय एवम अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस बारे में कोई भी बात नहीं करना चाहेगा।
इसमें दो राय नहीं कि जैसे ही फीफा कप का बिगुल बजता है और दुनिया के श्रेष्ठ फुटबाल राष्ट्र मैदान में उतरते हैं तो चार साल में चार सप्ताह भारत में भी फुटबाल महोत्सव आयोजित किया जाता है, जिसमें आम फुटबाल प्रेमी से लेकर, खिलाड़ी कोच, सरकारें सब फुटबालमय हो जाते हैं। जिस देश में साल भर क्रिकेट की पूजा अर्चना होती है, क्रिकेट खिलाड़ियों को देवी देवताओं की तरह पूजा जाता है, उसका चरित्र यकायक बदल जाता है।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को फीफा का शुक्रगुजार होना चाहिए। फीफा के प्रयासों के कारण भारत में हर चार साल में एक महीना फुटबाल को समर्पित होता है और दुनिया के सबसे फिसड्डी और नकारा फुटबाल राष्ट्र में काफी कुछ फुटबाल को समर्पित कर दिया जाता है।
फिलहाल एशिया में दूसरी बार फीफा कप आयोजित हो रहा है, जिसके लिए कतर बड़ी से बड़ी प्रशंसा का पात्र है। भले ही मेजबान देश शुरुआती दौर में लड़खड़ा गया है लेकिन उसने अपनी मेजबानी से सबका मन मोह लिया है। यह अनुभव उसके खेल स्तर को सुधारने में काम आएगा। लेकिन भारतीय फुटबाल कब सुधरेगी?
हालांकि भारत में भी फुटबाल बहुत लोकप्रिय खेल है। हॉकी और क्रिकेट की तरह इस खेल को भी खासा पसंद किया जाता है। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद भी यह खेल क्रिकेट और हॉकी की तरह प्रगति नहीं कर पाया। इसलिए क्योंकि ये दोनों खेल दुनिया के सिर्फ दर्जन भर देशों में ही खेले जाते हैं , जबकि फुटबाल हर देश का पहला खेल है और खेलने देखने वाले करोड़ों में हैं। 200 से अधिक देशों के राष्ट्रध्यक्ष और राष्ट्र नायकों का फुटबाल पहला खेल है और हमारी सरकारों को इस खेल से जैसे कोई लेना देना नहीं है।
दुभाग्यवश भारत में फुटबाल को कभी भी पहली प्राथमिकता वाला खेल नहीं माना गया। चार ओलंपिक खेलने वाला और दो एशियाड खिताब जीतने वाला देश फुटबाल में गुमनाम बन कर रह गया है। सालों साल सोया रहता है। बस वर्ल्ड कप आते ही जाग जाता है और फिर चार साल तक के लिए सो जाता है।
बेहतर होगा देश की सरकार और खेल आका अब भी संभल जाएं। यह न भूलें कि जो देश फुटबाल में अग्रणी है उसका मान सम्मान बढ़ चढ़ कर होता है। उदाहरण के लिए ब्राजील और अर्जेंटीना जैसे समस्याग्रस्त देश ।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |