उस समय जब पूरी दुनिया फुटबाल के महासागर में डुबकियां लगा रही थी और फीफा कप में दिग्गज टीमों और खिलाडियों के उत्कर्ष और पतन के साक्षात् दर्शन हो रहे थे, भारतीय क्रिकेट अपनी नाक बचाने के लिए जूझ रही थी । लेकिन नाक है कि बच नहीं पाई । यह पता नहीं कि बांग्लादेश के विरुद्ध खेली गई तीन एकदिवसीय मैचों की सीरीज को नाक का सवाल क्यों बनाया गया लेकिन पहला मैच हारने के बाद भारतीय टीम को दौड़ में बने रहने के लिए दूसरा मैच जीतना जरूरी था जोकि संभव नहीं हो पाया और भारत ने मैच के साथ साथ सीरीज भी गंवा दी ।
मीरपुर में खेले गए दूसरे मैच की सुबह देश के एक प्रमुख दैनिक ने भारत -बांग्लादेश मुकाबले के महत्व को कुछ इस प्रकार व्यक्त किया “टीम इंडिया के सामने नाक का सवाल”। सवाल यह नहीं की नाक बची या कट गई लेकिन भारतीय खिलाडियों ने आखिर तक संघर्ष किया और आसानी से घुटने नहीं टेके । लेकिन क्रिकेट को इस कदर गंभीरता से लेने वाले भारतीय मीडिया ने शायद ही कभी अपनी फुटबाल की कटी नाक का जिक्र किया हो या कभी सरकार और फुटबाल को संचालित करने वाली संस्था से पूछा हो कि क्यों दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और 140 करोड़ की आबादी वाला देश फुटबाल में फिसड्डी है ।
फीफा कप के चलते दुनिया भर में फुटबाल चर्चा का केंद्र बनी हुई है लेकिन हमारे मीडिया को क्रिकेट से फुर्सत नहीं मिलती । यह जानते हुए भी कि दस देशो का यह खेल बाकी खेलों पर बहुत भारी पड़ रहा है और कुछ लोग तो क्रिकेट को बाकी भारतीय खेलों का दुश्मन तक बताते हैं । लेकिन ऐसा नहीं है । क्रिकेट की अपनी दुनिया है और यह खेल अपनी मेहनत और कुशल प्रशासन से भारतीयों का प्रिय खेल बन गया है । लेकिन जैसे क्रिकेट में पकिस्तान, बांग्लादेश श्रीलंका से हारना नाक का सवाल मान लिया जाता है, ठीक वैसे ही फुटबाल में भी नाक कभी ऊंची नहीं उठ पाई ।
फर्क सिर्फ इतना है कि फुटबाल में हम जब कभी बांग्लादेश, नेपाल , अफ़ग़ानिस्तान या अन्य फ़िसड्डियों से हार जाते हैं या बराबरी पर रहते हैं तो नाक कटने की दुहाई कोई नहीं देता ।
फुटबाल विश्व कप अपने निर्णायक मुकाम तक पहुँच गया है । जिन देशों की टीमें विश्व कप का हिस्सा हैं उनके साथ साथ भारत और बांग्ला देश में भी फुटबाल का जूनून सर चढ़ कर बोल रहा है लेकिन दोनों ही देश फुटबाल में फिसड्डी हैं । इसलिए चूँकि भारत के पड़ोसी देश क्रिकेट खाते पीते हैं और कसमें भी उसी की खाते हैं । बाकी खेल भारत और उसके पडोसी देशों की सरकारों और आम देशवासियों की प्राथमिकता में शामिल नहीं हैं । शायद उन्हें यह पता नहीं कि देश की नाक ओलम्पिक खेलों और फुटबाल में उसके कद से ऊंची होती है ।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |