वरना भारत फुटबाल मानचित्र से बाहर !

India could disappear from football map

रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गए’ , भारतीय फुटबाल का सर्वनाश कर दिया लेकिन एआईएफएफ के मुंह लगे और सालों साल फेडरेशन अधिकारीयों को उल्टी पट्टी पढ़ाने वाले अब भी यह मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि सारे फसाद की जड़ निलंबित अध्यक्ष प्रफुल पटेल और उनके मुंशी कुशल दास और और पूरी टीम है। पटेल से पहले प्रिय रंजन दास मुंशी ने अध्यक्ष पद का मनमर्जी से इस्तेमाल किया और भारतीय फुटबाल कि शव यात्रा का जिम्मा पटेल को सौंप दिया, जिसे उन्होंने बखूबी अंजाम दिया ।

हालाँकि भारतीय फुटबाल के बहुत से बुद्धि जीवीऔर फेडरेशन अधिकारीयों की चाकरी करने वाले मीडिया जीवी तरह तरह के झूठ गढ़ कर फेडरेशन का बचाव कर रहे हैं और उनमें से कुछ एक फेडरेशन में खिलाडियों की भागीदारी पचास फीसदी तक मांग रहे हैं । ये वही हैं , जिन्होंने भारतीय फुटबाल की बर्बादी की स्क्रिप्ट तैयार की है । आखिर क्यों 36 पूर्व खिलाडियों को फेडरेशन के मतदाताओं में शामिल किया जा रहा था? इसलिए ताकि कोई उम्मीदवार इन्हें आसानी से बरगला सके और उनका वोट पा सके लेकिन फीफा और ए एफसी चाहते थे कि फेडरेशन का चुनाव उनके सिस्टम के अनुसार हो और एआईएफएफ को तुरंत प्रभाव से बैन कर दिया |

सीधा सा मतलब है कि फीफा ने सीओए को सिरे से ख़ारिज कर दिया जोकि गंभीर मामला है । पता चला है कि भारतीय फुटबाल की खाने कमाने वाले, इंडियन मॉडल स्पोर्ट्स कोड का दम भरने वाले , खेल मंत्रालय और खुद सरकार तेजी से हरकत में आ गए हैं । जो लोग पिछले पचास सालों से सोए हुए थे, जो फुटबाल की आड़ में लूट मचाए थे उनका अचानक जागना बताता है कि फीफा की ताकत क्या है । उन्हें पता चल जाना चाहिए कि यदि अब भी नहीं सुधरे तो फीफा भारत को दुनिया के फुटबाल नक़्शे से बाहर भी कर सकता है । उन्हें जान लेना चाहिए कि जो देश दुनिया के पहले सौ देशों में भी स्थान नहीं बना पाया उसको कदम कदम पर फीफा की मेहरबानी पर जीना होगा ।

एक तरह से फीफा ने भारतीय फुटबाल को निलंबित कर सबक दिया है कि दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल का आदर सम्मान करना सीखें, फर्जीवाड़ा बंद करें और सत्ता हथियाने और कुर्सी नहीं छोड़ने की कुआदत से बचे । क्योंकि प्रफुल पटेल ने समय रहते पद नहीं छोड़ा इसलिए सारा विवाद हुआ है । देश का मान सम्मान गिरा और करोड़ों का नुक्सान भी हुआ है । हमारे खिलाडी विदेशों में नहीं खेल सकते और नाही विदेशी खिलाडी भारत आ सकते हैं । अर्थात एक बड़ी खेल बिरादरी हम से कट गई है और भारत की जगहंसाई हो रही है ।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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