भारतीय फुटबाल भले ही आज अंतिम साँसे गिन रही है लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब भारतीय खिलाडियों को विश्व स्तर पर नाम सम्मान प्राप्त था। ऐसे ही कुछ जाने माने खिलाडियों में पंजाब के इन्दर सिंह का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। आज उनका जन्म दिन है। शायद भारतीय फुटबाल के कर्णधार उन्हें भुला चुके होंगे। लेकिन जिस किसी ने उन्हें 60 से 80 के दशक में खेलते देखा है, उन्हें पता है कि इन्दर किस स्तर के खिलाडी थे।
आज उन्हें जन्म दिन की शुभकामना के साथ याद करते हैं ताकि भावी पीढ़ी को बताया जा सके कि गोल जमाने की कलाकारी सीखनी है तो इन्दर से सीखें। जी हाँ, वे भारतीय फुटबाल के सर्वकालीन श्रेष्ठ फारवर्ड में से एक थे। छोटे कद के बेहद शांत, साफ़ सुथरा खेलने वाले पंजाब के इस सपूत को शायद ही किसी ने कभी रफ खेलते देखा हो। रक्षा पंक्ति को छकाने की कला में माहिर इन्दर अकेले ऐसे भारतीय हैं जिसे एएफसी एशिया कप में अधिकाधिक गोल जमाने का सम्मान प्राप्त है। 1967 और 1968 में उन्हें एशिया महाद्वीप की आल स्टार्स टीम में स्थान मिला तो संतोष ट्राफी राष्ट्रीय फुटबाल चैम्पियनशिप सर्वाधिक में 43 गोल जमाने वाले महान फारवर्ड भी रहे। 1974- 75 में संतोष ट्राफी में उन्होंने पंजाब के लिए 23 गोल जमा कर ऐसा रिकार्ड बनाया जोकि आज तक कायम है।
1962 में अपना पेशेवर करियर उन्होंने लीडर्स क्लब जालंधर के साथ शुरू किया| 1974-75 में जेसीटी मिल्स फगवाड़ा से जुड़े और ऐसा खेल दिखाया जिसे देख कर बंगाल के बड़े क्लबों के पसीने छूट गए। मोहन बागान, ईस्ट बंगाल, मोहम्मडन स्पोर्टिंग को यदि किसी खिलाडी ने हैरान परेशान किया तो वह निसंदेह इन्दर थे, जिन्हें रोक पाना किसी भी मजबूत रक्षापंक्ति के लिए मुश्किल काम था।
23 दिसंबर 1943 को जन्मे इन्दर के खेल का सबसे मजबूत पहलू उनका साफ़ सुथरा खेल था। कठिन से कठिन कोण से गोल जमाने और कई रक्षकों को एक साथ चकमा देने में उन्हें महारथ हासिल था। कोरिया , ईरान, चीन आदि टीमों के विरुद्ध भी उनका जादू खूब चला। उनके देखा देखी पंजाब की फुटबाल ने जोरदार प्रगति की । बाद के सालों में परमिंदर, मंजीत, हरजिंदर जैसे खिलाडियों ने उनका अनुसरण करते हुए खूब नाम कमाया।
इसे पंजाब और भारतीय फुटबाल का दुर्भाग्य कहेंगे कि अवसरवादी अधिकारीयों ने उनकी सेवाओं को सम्मान नहीं दिया। चूँकि वह बहुत कम बोलने वाले, विवादों से दूर रहने वाले और साधु प्रवृति के खिलाडी थे इसलिए राज्य और राष्ट्रीय फुटबाल राजनीति से दूर ही रहे। उन्हें दिल्ली के फुटबाल प्रेमी बहुत मिस करते हैं, क्योंकि दिल्ली के अंबेडकर स्टेडियम में उनका खेल देखने हजारों कि भीड़ उमड़ पड़ती थी। उनके गोल जमाने की कलाकारी को आज तक याद किया जाता है। दीर्घयु हों इन्दर जी!
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |