सैफ चैंपियनशिप के सेमी फाइनल और फाइनल मुकाबलों में भारतीय टीम अपने मैनेजर और चीफ कोच इगोर स्टीमैक के बिना मैदान में उतरी और लेबनान और कुवैत को टाई ब्रेकर में हरा कर खिताब जीतने में कामयाब रही । दो लाल कार्ड देखने के कारण इगोर टीम के साथ नहीं थे लेकिन मैदान के अंदर – बाहर उनकी उपस्थिति रही। खिलाड़ियों ने उनके प्लान के अनुरूप खेल कर सैफ कप जीता और दो मैचों के लिए प्रतिबंधित कोच विजेता टीम और फुटबाल प्रेमियों का हीरो बन गया। अब यही कोच भारतीय फुटबाल से मोल भाव कर रहा है।
क्रोशिया के लिए अंतरराष्ट्रीय फुटबाल खेल चुके इगोर भारतीय फुटबाल में जाना पहचाना चेहरा बन गए हैं। कप्तान सुनील क्षेत्री और अन्य खिलाड़ियों के साथ कोच की केमिस्ट्री शानदार है । लेकिन नौवां सैफ कप जीतने वाली टीम से इगोर कुछ और महीने ही जुड़े रह सकते हैं। अनुबंध के अनुसार उन्हें जनवरी, 2024 में एएफसी कप के बाद पद छोड़ना होगा लेकिन वे अपनी शर्तों पर लंबी अवधि के लिए टीम से जुड़े रहना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने बाकायदा दबाव बनाना भी शुरू कर दिया है। यह वही रणनीति है जोकि अब तक के तमाम विदेशी कोच अपनाते आए हैं।
इसमें दो राय नहीं कि इगोर के कार्यभार संभालने के बाद से भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी फीफा रैंकिंग के हिसाब से प्रदर्शन किया है। फर्क सिर्फ इतना है कि रैंकिंग में दूर तक पिछड़ी टीमों को बमुश्किल हरा पाए लेकिन बेहतर रैंकिंग वाली टीमों से या तो मुकाबला नहीं हुआ या जैसे तैसे जीते । जिन देशों को लगातार 11 मैचों में हराया उनकी रैंकिंग और स्तर को देखें तो भारतीय फुटबाल जहां खड़ी थी उससे आगे नहीं बढ़ पाई है। हां, फुटबाल प्रेमियों की स्टेडियमों में वापसी का संकेत जरूर मिला है।
कोच इगोर 2024 से आगे तक का अनुबंध चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने बाकायदा स्क्रिप्ट भी तैयार कर ली है। शायद वे थाईलैंड में किंग्स कप, मलेशिया में मर्डेका कप और अंततः वर्ल्ड कप क्वालीफायर में भारतीय टीम को खेलते देखना चाहते हैं। वर्ल्ड कप क्वालीफायर में भारत को ऑस्ट्रेलिया, उज़्बेकिस्तान और सीरिया से निपटना है। हालांकि एएफसी कप में भारतीय फुटबाल की असल ताकत पता चल जाएगी लेकिन वर्ल्ड कप क्वालीफायर से पार पाना असम्भव माना जा रहा है।
सच तो यह है कि इगोर भी भारतीय फुटबाल के दम खम से बखूबी वाकिफ हैं । उन्हें पता है कि एशिया की पहली बीस टीमों से निपटना बहुत मुश्किल है। कोच साहब तो महज दाव खेल रहे हैं । उन्हें लगता है कि ‘ प्रेसर टैक्टिस’ अपना कर उन्हें लंबे समय तक के लिए टीम इंडिया की मैनेजरी मिल सकती है। सालों से गोरे कोच इसी प्रकार भारतीय फुटबाल आकाओं को बनाते आ रहे हैं। जाते जाते यह कह जाते हैं कि भारतीय फुटबाल नहीं सुधरने वाली।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |