मैं भी कभी शारीरिक शिक्षक रहा हूँ- मनोज तिवारी

PEFI conference Manoj Tiwari

“आज भले ही मैं सांसद हूं लेकिन कभी मैं भी एक शारीरिक शिक्षक था और जानता हूँ कि शारीरिक शिक्षा और शिक्षक का क्या महत्व है।” सांसद मनोज तिवारी ने भारतीय शारीरिक शिक्षा फाउंडेशन(पेफ़ी) की छठी राष्ट्रीय कांफ्रेंस में अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि शारीरिक शिक्षक किसी भी स्कूल की रीढ़ होता है और देश के चैंपियन खिलाड़ियों की कामयाबी में बड़ी भूमिका का निर्वाह करता है। श्री तिवारी एक अच्छे क्रिकेट खिलाड़ी और सिने कलाकार भी रहे हैं। उन्होने पेफ़ी के राष्ट्रीय सचिव पीयूष जैन के प्रयासों को सराहा और माना कि इस दिशा में अभी बहुत सा काम करना बाकी है। सबसे पहले शारीरिक शिक्षकों को उनका सम्मान और अधिकार दिलाने की जरूरत है।

भारतीय ओलम्पिक संघ के कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पांडे का मानना है कि किसी भी स्कूल में प्रिंसिपल के बाद यदि किसी की सबसे ज्यादा पूछ होनी चाहिए तो वह निसंदेह फिजिकल टीचर है। लेकिन उन्होने अफ़सोस व्यक्त किया कि देश में शारीरिक शिक्षा को महत्व नहीं दिया जा रहा। कागजों में तो बहुत कुछ हो रहा है लेकिन धरातल पर खेल नीति भी नहीं बन पाई है। नतीजन अच्छे खिलाड़ी पैदा नहीं हो पा रहे। उनकी राय में
जब तक हम शिक्षकों को महत्व नहीं देंगे भारत खेल महाशक्ति नहीं बन सकता, क्योंकि खिलाड़ी की असल्ली ताकत यही शिक्षक हैं।संयोग से पांडे भी फिजिकल टीचर रहे हैं।

पेफ़ी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉक्टर उप्पल ने टोक्यो ओलंम्पिक में भारत द्वारा जीते गए सात पदकों का बड़ा श्रेय शारीरिक शिक्षकों को दिया और कहा कि पदक जीतने वाले खिलाड़ियों की बुनियाद स्कूल स्तर पर ही मजबूत बन गई थी। संभवतया उन्हें समर्पित शिक्षको ने मदद की होगी। बाद में हमारे और विदेशी कोचों ने उन्हें आगे बढाया। हॉकी द्रोणाचार्य अजय बंसल को यह बात खलती है कि हम सालों साल स्पोर्ट्स और फिजिकल एजुकेशन को अलग अलग समझते हैं , जबकि दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं। लेकिन देश में स्पोर्ट्स कल्चर की जरूरत है, जोकि स्कूल के खेल टीचर को सम्मान देने से ही बन सकता है। ज्यादातर की राय में फिजिकल एजुकेशन को कंपलसरी सब्जेक्ट बनाया जाना चाहिए।

आईजीआई फिजिकल कालेज के प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप तिवारी इस बात से नाराज हैं कि शारीरिक शिक्षा को किसी भी स्तर पर बढ़ावा नहीं दिया जा रहा। सब कुछ सिर्फ कागजों में चल रहा है जोकि झूठ साबित होता है।

दिल्ली सरकार के उप निदेशक संजय कुमार, गुजरात के प्रोफेसर वैभवभट्ट, त्रिवेंद्रम एलएनसीपीई के डॉक्टर किशोर भी मानते हैं कि शारीरिक शिक्षा और खेल को एक ही चश्मे से देखने की जरूरत है।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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