Clean bold- Saturday special
माननीय सर्वोच्च न्यायलय के एक फैसले के बाद अब भारतीय ओलम्पिक संघ(आईओए) की आड़ लेकर देश के खेलों को लूटने वाले और देश की खेल व्यवस्था को बर्बाद करने वाले और सालों से उच्च पदों पर बैठे अवसरवादियों की खैर नहीं है । उन्हें अब जाना ही पड़ेगा । उनके पाप का घड़ा बहुत पहले भर चुका था लेकिन देर से ही सही देश में खेलों के लिए बेहतर माहौल बनाने वालों और खिलाडियों एवं खेल प्रशासकों को शायद अब आईओए के भ्र्ष्ट तंत्र से छुटकारा मिल जाए ।
इसमें दो राय नहीं कि खेलों के लिए बेहतर माहौल बनाने और खिलाडियों के शिक्षण प्रशिक्षण का काम सरकारों और खेल संघों के बीच बेहतर तालमेल से सम्भव हो पाता है । आईओए ओलम्पिक आंदोलन के प्रचार प्रसार और खेलों को सही दिशा देने के लिए जवाबदेह है लेकिन देखने में आया है कि यह इकाई अपने निहित स्वार्थों के चलते देश में ओलम्पिक आंदोलन को बर्बाद करने पर तुली है । एक सर्वे से पता चला है कि खेलों और खिलाडियों का एक बड़ा वर्ग आईओए और उसकी सदस्य इकाइयों के बेहद खफा है।
भले ही भारतीय खिलाडियों ने कुछ एक ओलम्पिक खेलों में पदक जीतना सीख लिया है लेकिन यह प्रक्रिया पचास साल पहले शुरू हो जानी चाहिए थी । ऐसा इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि भ्र्ष्ट खेल संघों के साथ सांठ गाँठ कर आईओए ने देश के खेलों और खिलाडियों का बहुत नुक्सान किया । पद और पहचान की लड़ाई में ऐसे बहुत से अवसरवादी आईओए के बेड़े में शामिल हो गए जोकि कभी खिलाडी नहीं रहे और खेलों से उनका दूर दूर तक का रिश्ता नहीं रहा ।
भारतीय ओलम्पिक समिति की करतूतों पर सरसरी नजर डालें तो है हर ओलम्पिक एशियाड और कॉमनवेल्थ खेल से पहले फर्जीवाड़ा हुआ । अपने अपनों को चोर दरवाजे से विदेश यात्राएं कराइ गईं । ऐसा हमेशा से होता आ रहा है, जबकि खिलाडियों की संख्या से ज्यादा अधिकारी विदेश यात्राएं करते रहे हैं । लेकिन पिछले कुछ सालों में कटुता , एक दूसरे को नीचा दिखाने और आरोप प्रत्यारोपों का खेल इस कदर खेला गया कि आईओए के लुटेरे अपने ही बनाए जाल में फंस गए हैं ।
पिछले कुछ सालों में आईओए अधिकारियों और उनके जी हुजरों ने जमकर तांडव मचाया । किसी पर खातों में गड़बड़ी के आरोप लगे, कोई विदेशों में शराबखोरी के लिए बदनाम हुआ और किसी को महिला खिलाडियों से दुराचरण के लिए दबोचा गया। इतना ही नहीं आईओए में शामिल राज्य इकाइयों में उच्च पदों पर बैठे कुछ अधिकारियोँ ने तो पद का का इस्तेमाल लूट के लिए किया । देश की कई राज्य ओलम्पिक इकाइयों के अधिकारियों ने ज्यादातर उन खेलों को बढ़ावा दिया जोकि ओलम्पिक, एशियाड और कॉमनवेल्थ का हिस्सा नहीं हैं ।
बेशक यह जांच का विषय है लेकिन खेल की आड़ में भ्र्ष्टाचार करने वालों को कदापि माफ़ नहीं किया जाना चाहिए । कुछ प्रदेशों में तो बाकायदा फर्जी मार्शल आर्ट्स ओलम्पिक खेल संघों तक का गठन किया गया है । यह शुभ कार्य आईओए से जुड़े महानुभाओं के हाथों हुआ है । एक बड़ा घोटाला यह भी होता आ रहा है कि जब कभी राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होता है तो राज्य ओलम्पिक इकाइयों के वारे न्यारे हो जाते हैं । विभिन्न खेलों और खिलाडियों को ले देकर दल में शामिल करना इनका चरित्र रहा है । लेकिन अब शायद ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |