फुटबाल राष्ट्रों ने कैसे हॉकी को कब्जाया !

How football playing nations dominating Hockey

भारतीय हॉकी टीम ने जब 1975 में विश्व खिताब जीता था तो तब हॉकी का रूप स्वरूप ऐसा नहीं था जैसा भुवनेश्वर में खेले जा रहे विश्व कप में नज़र आ रहा है । तब मलेशिया में खेले गए घास के मैदान पर भारत ने श्रेष्ठता दर्ज की थी । लेकिन एक साल बाद खेले गए मांट्रियल ओलम्पिक में भारत को सातवें स्थान से संतोष करना पड़ा । ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पहली बार ओलम्पिक हॉकी नकली घास (एस्ट्रो टर्फ़ )के मैदान पर खेली गई और भारतीय टीम इस बदलाव के लिए कदापि तैयार नहीं थी । सम्भवतया पकिस्तान के साथ भी यही स्थिति थी हालाँकि उसने कांस्य पदक जीता था ।

मांट्रियल ओलम्पिक मे एस्ट्रो टर्फ के चलन के बाद एशियाई देशों और खासकर भारत और पकिस्तान ने यूरोप पर एशियाई हॉकी को बर्बाद करने का आरोप लगाया , जोकि काफी हद तक सही भी था । लेकिन धीरे धीरे नए मैदानों को स्वीकार कर लिया गया और इसके साथ ही कलात्मक हॉकी का स्थान ताकत और दमखम के खेल ने ले लिया । चूँकि यूरोपीय खिलाडी शारीरिक तौर पर एशियाई खिलाडियों से बीस होते हैं इसलिए उनकी पकड़ मज़बूत होती चली गई और फिर एक दिन ऐसा भी आया जब भारत
और पकिस्तान हॉकी मानचित्र से लगभग बहार होने की कगार पर पहुँच गए।

एस्ट्रो टर्फ के चलन से न सिर्फ मैदान बदला अपितु नियम भी बदल गए । खेल को आकर्षक बनाने के लिए बहुत से बदलाव किए गए लेकि कुल मिला कर हॉकी में फ्री फार आल हो गया । पीठ दिखाने से लेकर टर्निंग , थ्रो, पेनल्टी कार्नर और अनेकों नियम बदल डाले गए और हॉकी जैसे फुटबाल बन गई, जिनके अनुरूप खेलने में भारत और पकिस्तान के खिलाडियों को दुविधा जरूर हुई । हालाँकि अंततः एशियाई देशों को अंतर्राष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन के नियमों को अपनाना पड़ा लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।

भारत ने अपना आठवां और आखिरी ओलम्पिक गोल्ड1980 के मास्को ओलम्पिक में जीता था जिसमें प्रमुख यूरोपीय देशो ने भाग नहीं लिया , जबकि पकिस्तान चार साल बाद लॉसएंजेल्स में गोल्ड कब्जाया । इसके बाद से दोनों देश गुमनामी में खो गए । कुछ एक अवसरों पर वे ओलम्पिक और विश्व कप में भाग लेने की पात्रता भी अर्जित नहीं कर पाए । हालाँकि हालैंड,इंग्लैण्ड , जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और स्पेन जैसे चैम्पियन फुटबाल राष्ट्र हॉकी में पहले ही ऊंचा मुकाम पा चुके थे लेकिन धीरे धीरे कुछ और घुसपैठियों ने दस्तक दी और विश्व विजेता अर्जेंटीना , बेल्जियम , फ़्रांस , पोलैंड आदि देशों ने फुटबाल के साथ साथ हॉकी में भी दस्तक दी और ज्यादातर ने एशियाई देशों को बहुत पीछे छोड़ दिया है ।

हालाँकि भारतीय हॉकी धीरे धीरे पटरी पर आती नज़र आ रही है लेकिन पकिस्तान का पतन एशियाई देशों के लिए बड़ी चिंता का कारण है । दोनों देशों ने एस्ट्रो टर्फ के मैदान बिछाने और उनकी संख्या बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया । नतीजन फुटबाल बनी हॉकी में कई देश आगे बढ़ गए ।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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