भारतीय फुटबाल प्रेमी 2026 के फीफा वर्ल्ड कप में भारतीय भागीदारी की उम्मीद कर रहे हैं । कई एक ने तो सपने देखना भी शुरू कर दिया है । इसलिए चूँकि फीफा ने अगले विश्व कप में 48 टीमों को शामिल करने का फैसला किया है । यदि ऐसा होता है तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का विश्व कप खेलने का सपना पूरा हो सकता है । लेकिन इस बदलाव के बाद भी भारत की भागीदारी की सम्भावना कम ही नज़र आ रही है क्योंकि चार साल में भारतीय फुटबाल में कोई बड़ा बदलाव होता नज़र नहीं आ रहा ।
1966 में जब पहली बार फीफा ने क्वालीफाईंग राउंड की शुरुआत की तो कुल 70 सदस्य देशों में से 16 को अंतिम दौर में स्थान मिला था । 1982 में सदस्य संख्या 109 थी और 24 देश निर्णायक दौर में पहुंचे । 1998 से 174 सदस्य देशों में से 32 विश्व कप में भाग ले रहे हैं | आज फीफा के सदस्य देशों की संख्या 211 है , जिनमें से 48 को 2026 के विश्व कप के फाइनल राउंड में शामिल किया जाएगा । इस बारे में फीफा और आयोजक देशों मेक्सिको, यूएस और कनाडा के बीच एक राय कायम हो चुकी है।
जहाँ तक भारत की फीफा रैंकिंग की बात है तो भारत 105वे स्थान पर है। अर्थात इस हिसाब से भारत को निरंतर सुधार के बावजूद कई दशक लग सकते हैं । एएफसी रैंकिग में भारत का नंबर 19 वां है । ईरान जापान , कोरिया , ऑस्ट्रेलिआ सऊदी अरब , क़तर , ईराक आदि देश भारत से कहीं आगे हैं । समस्या यहीं समाप्त नहीं हो जाती भारत के बाद के रैंकिंग वाले देशों में उत्तर कोरिया, थाईलैंड , तुर्कमेनिस्तान मलेशिया , चीन, कुवैत कई अन्य ऐसे देश हैं जिनसे पार पाना भारतीय फुटबाल के बूते की बात नहीं हैं । वैसे भी फीफा एशियाई देशों के प्रदर्शन और प्रगति से संतुष्ट नहीं है और हो सकता है कि भविष्य में एशिया का कोटा कम कर दिया जाए |
पूरा गणित लगाने के बाद बस एक उम्मीद यह बचती है कि भारत क़तर की राह पर चल कर फीफा वर्ल्ड कप का आयोजन कर सकता है । एशियाई फुटबाल का फिसड्डी देश यदि मेजबानी का दावा करे और उसे कामयाबी मिल जाए तो शायद भारत का फीफा वर्ल्ड कप खेलने का सपना पूरा हो जाए । वरना खेल कौशल और उच्च रैंकिंग के रास्ते चल कर भारतीय फुटबाल मान सम्म्मान कदापि नहीं कमा सकती ।
चलिए मान लिया तमाम तिकड़म लड़ा कर भारतीय फुटबाल फेडरेशन और सरकार विश्व कप की मेजबानी पा जाएं लेकिन क्या फायदा होगा ? आयु वर्ग के दो वर्ल्ड कप आयोजित कर भारत ने कौनसा तीर चला दिया ? बदनामी और थूथू के अलावा कुछ भी तो नहीं मिला । बेहतर होगा भारतीय फुटबाल अपनी हैसियत पहचाने और देशवासियों के खून पसीने की कमाई बर्बाद करने की बजाय अपने खिलाडियों को बेहतर सुविधाएं दे और उनके स्तर में सुधार करे ।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |