विश्व कप : क्या भारत अपनी मेजबानी को यादगार बना पाएगा !

Hockey world cup

राजेंद्र सजवान
पुरुषों के एफआईएच हॉकी विश्व कप का 15 वां संस्करण भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम और राउरकेला बीजू पटनायक स्टेडियम में 13 से 29 जनवरी 2023 तक आयोजित किया जाएगा ,जिसमें विश्व हॉकी की 16 टॉप टीमें भाग लेंगी । अर्थात टोक्यो ओलम्पिक के बाद हॉकी का एक और सबसे बड़ा आयोजन होने जा रहा है जिसकी मेजबानी भारत को मिलना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है लेकिन आम भारतीय हॉकी प्रेमी के लिए यह आयोजन तब ही यादगार बन पाएगा यदि भारतीय टीम फाइनल में पहुँचती है या ख़िताब जीत पाती है ।

1971 से खेले जा रहे विश्व कप का खिताब फिलहाल बेल्जियम के पास है , जिसने ऑस्ट्रेलिआ, जर्मनी, हालैंड और भारत जैसी मजबूत टीमों की उपस्थिति में अपना पहला खिताब जीत कर हॉकी जगत को हैरान कर दिया था । वही बेल्जियम अपने खिताब को बचाने के लिए एक बार फिर मैदान में होगा, जिसे भारत जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, इंग्लैण्ड, जर्मनी, नीदरलैंड, स्पेन, फ़्रांस, वेल्स, अर्जेंटीना, चिली, साउथ अफ्रीका, और न्यूजीलैण्ड । विश्व हॉकी की बड़ी ताकत और चार बार का विश्व चैम्पियन पकिस्तान चूँकि क्वालीफाई नहीं कर पाया है इसलिए एशियाई देशों की उम्मीद भारत पर टिकी है ।

जहां तक भारतीय प्रदर्शन की बात है तो हमने मात्र एक बार 1975 में विश्व कप जीता और पिछले 47 सालों से उसी जीत की खा कमा रहे हैं । पकिस्तान ने सर्वाधिक चार बार , ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड ने तीन तीन बार , जर्मनी ने दो बार और भारत एवं बेल्जियम ने एक एक बार खिताब जीते हैं । जहाँ तक भारत की बात है तो 1975 के क्वालालम्पुर विश्व कप में भारत ने अपने परम्परागत प्रतिद्वंद्वी पकिस्तान को हरा कर खिताब जीता था लेकिन उसके बाद भारतीय हॉकी फिर कभी ऐसा करिश्मा नहीं कर पाई ।

हमेश की तरह भारतीय हॉकी एक बार फिर से जोश और उम्मीद से लबालब है । टोक्यो ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने के बाद से खिलाडियों का मनोबल सातवें स्थान पर है । भारतीय खिलाडियों से इसलिए बेहतर की उम्मीद की जा रही है क्योंकि वे अपने घर, अपने मैदान और अपने दर्शकों के सामने खेलेंगे । हालाँकि अभी से कोई भविष्यवाणी करना खतरे से खली नहीं होगा लेकिन यह मान कर चलें कि बेल्जियम अपना खिताब आसानी से नहीं छोड़ने वाला तो ऑस्ट्रेलिया , जर्मनी, नीदरलैंड, अर्जेंटीना जैसी टीमों से भी हमारे खिलाडी खासे परिचित हैं ।

यह भी सच है कि डाक्टर नरेंद्र बत्रा के जाने के बाद से विश्व हॉकी में भारत का दर्जा पहले जैसा नहीं रहा । एफआईएच कप को भारत लाने वाले बत्रा के जाने के बाद अब पूरा दारो मदार हॉकी इंडिया, खिलाडियों और अधिकारीयों पर आन पड़ा है । खासकर खिलाडियों को अपनी सालों की मेहनत का सुखद परिणाम देने का मौका है । उन पर सरकार ने लाखों खर्च किए हैं और हर तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं । इस बार का विश्व कप इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कई सीनियर खिलाडी शायद आखिरी विश्व कप खेलेंगे । बेशक, वे और उनके जूनियर अपनी मेजबानी में खिताब जरूर जीतना चाहेंगे ।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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