उस समय जबकि भारतीय खिलाड़ी 19 वें एशियाई खेलों में रिकार्ड तोड़ प्रदर्शन कर रहे थे और सौ पदकों के आंकड़े को छूने के लिए जी जान की बाजी लगा रहे थे , बड़बोली महिला हॉकी टीम मेजबान चीन के हाथों दर्दनाक हार बचाने के लिए जूझ रही थी। लेकिन टीम प्रबंधन और कोच की रणनीति के अनुरूप खेलते हुए मेजबान खिलाड़ियों ने जैसा गजब का प्रदर्शन किया उसे देख कर आम भारतीय हॉकी प्रेमी का दिल जरूर टूटा होगा।
गोंगझोऊ की उड़ान पकड़ने से पहले भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीमों को गोल्ड की प्रबल दावेदार बताया गया था। भारतीय हॉकी के चारण भाट मीडिया ने भी दोनों टीमों को जमकर प्रचारित किया। उन्हें अघोषित चैंपियन बना दिया गया और दावा किया गया कि भारतीय लड़कियां खिताब जीत कर पेरिस ओलंपिक का टिकट पा जाएगी। लेकिन महिला टीम ने सेमीफाइनल में जैसा खेल दिखाया उसकी हर तरफ निंदा हो रही है। एक, दो नहीं चार गोलों से हारना आत्महत्या जैसा है।
हैरानी वाली बात यह है कि एशियाई खेलों में भारतीय महिला हॉकी के रिकार्ड को देखते हुए भी उन्हें बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया। 1982 के दिल्ली एशियाड को छोड़ भारतीय महिलाएं कभी भी खिताब नहीं जीत पाई। बाद के सालों में कोरिया और चीन ने सम्मान बांटे।
2010 के ग्वांगझाऊ एशियाड में भी चीन विजयी रहा था और भारत के विरुद्ध खेले गए इस बार के सेमीफाइनल में चीनी बालाओं ने भारतीय हॉकी के कर्णधारों की पोल खोल कर रख दी है। कमजोर विरोधियों पर ढेरों गोल जमाने वाली भारतीय लड़कियों की चीन के सामने एक नहीं चली। खेल के हर क्षेत्र में मेजबान ने वर्चस्व बनाया और भारतीय टीम को बुरी तरह रौंद डाला। स्किल, स्टेमना, स्पीड, निशानेबाजी और दम खम में भारतीय खिलाड़ी कहीं नहीं टिक पाई। छह पेनल्टी कार्नर बर्बाद किए गए तो जवाब में चीन ने छह में से तीन को गोल में बदला।
एशियाई महिला हॉकी में चीन, जापान, कोरिया और भारत लगभग एक स्तर की हैं लेकिन सबसे खराब रिकार्ड भारतीय महिलाओं का रहा है और इस बार उस रिकार्ड को बदतर बनाया गया है। भले ही वर्ल्ड रैंकिंग में भारत को चीन से ऊपर का स्थान प्राप्त है लेकिन रैंकिंग का एक बार फिर मखौल उड़ा है। शानदार हार को बर्दाश्त किया जा सकता है लेकिन बुरी तरह हारने पर यूं ही चुप्पी साध लेना ठीक नहीं होगा। सरकार, हॉकी इंडिया और उड़ीसा सरकार हॉकी टीमों पर करोड़ों खर्च कर रहे हैं। सीधे पेरिस ओलंपिक जाने का सुअवसर भी जाता रहा है। उम्मीद है भारतीय महिला हॉकी सबक जरूर सीखेगी।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |