हरेंद्र को मौका, देर से भूल सुधार!

www.saachibaat.com 2024 04 09T221823.452

देर से ही सही भारतीय हॉकी के कर्णधारों को होश आ गया लगता है। पूर्व राष्ट्रीय कोच हरेंद्र सिंह की वापसी से तो यही संकेत मिलता है कि देश में हॉकी की दुकान चलाने वाले चौतरफा निंदा के चलते फिलहाल विदेशी का मोह त्यागने को राजी हुए हैं। हरेंद्र को सीनियर महिला टीम की बागडोर सौंपी गई है।

एशियाड और ओलम्पिक क्वालीफायर में विफल रही महिला टीम के हेड कोच पद पर नए कोच की नियुक्ति को लेकर लंबे समय से विचार-विमर्श चल रहा था। लगभग दो दशकों तक भारतीय पुरुष और महिला टीमों को सेवाएं देने वाले हरेंद्र की वापसी का सीधा सा मतलब है कि विदेशी कोच फ्लॉप घोषित कर दिए गए हैं।
यह सही है कि खिलाड़ियों की फिटनेस के लिए विदेशी कारगर रहे हैं लेकिन जहां तक खेल में सुधार और परिणाम पलटने में दक्षता कहीं नजर नहीं आई। पिछले चार दशकों से विदेशियों को बढ़ावा देने और अपने कोचों को घर की मुर्गी की तरह इस्तेमाल करने वाले हॉकी इंडिया को अब शायद समझ आई है। देर से ही सही भारतीय हॉकी के कर्णधार जाग रहे हैं लेकिन सब कुछ लुटाकर होश में आने की भारी कीमत चुकाई है।

1980 के मॉस्को ओलम्पिक के बाद भारत हॉकी में स्वर्ण नहीं जीत पाया। टोक्यो ओलम्पिक में कांस्य जरूर पाया, लेकिन प्रदर्शन में स्थायित्व की कमी साफ नजर आई। महिला टीम की तरह पुरुष वर्ग में भी बदलाव की अपेक्षा की जा रही है। हो सकता है कि पुरुष टीम को अपने कोचों के हवाले करने में वक्त लगे लेकिन लगातार खराब प्रदर्शन के चलते पुरुष टीम में भी बदलाव संभावित हैं। फिलहाल , पेरिस ओलम्पिक के नतीजों पर नजर रहेगी।
देश के पूर्व ओलम्पियन और हॉकी प्रेमी सालों से विदेशी कोचों के विरुद्ध रहे हैं। लेकिन हॉकी इंडिया के अड़ियल रवैये और साई की जिद्द के कारण विदेशियों को बार-बार आजमाया गया और हर बार विफल रहे। करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद जिम्मेदार लोगों को होश आया है। देश से ही सही हरेंद्र को मौका देना भूल सुधारने जैसा है। उम्मीद है कि हरेंद्र महिला हॉकी की वापसी का नया अध्याय रचने में सफल रहेंगे।

Rajendar Sajwan

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
Share:

Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *