सुजीत मान को द्रोणाचार्य अवार्ड मिलते ही गुरु हनुमान बिड़ला व्यायामशाला एक बार फिर से चर्चा में आ गई है । सुजीत से पहले स्वयं गुरु हनुमान सुखचैन, सतपाल , राज सिंह , जगमिंदर और महासिंह राव यह सम्मान पा चुके हैं, जोकि अपने आप में एक रिकार्ड कहा जा सकता है । गुरु हनुमान के शिष्य और ओलम्पियन पहलवान सुजीत को यूँ तो पिछले साल ही यह सम्मान मिल जाना चाहिए था लेकिन पता नहीं क्यों फाइनल लिस्ट में शामिल होने के बावजूद उनका नाम काट दिया गया था । खैर, देर आए दुरुश्त कहा जा सकता है ।
सुजीत को सम्मान मिलना इसलिए भी जरुरी था क्योंकि पिछले कुछ सालों में गुरु हनुमान अखाड़े की कीर्ति लगातार कम हो रही थी । वह अखाड़ा जोकि कई दशकों तक भारतीय कुश्ती का केंद्र रहा , गुरु हनुमान के जाने के बाद अपनी पहचान खोने लगा था । उसकी जगह लेने के लिए देश के कई अखाड़े शुरू से ही प्रयासरत रहे लेकिन जैसे ही कुश्ती का बट बृक्ष गिरा गुमनाम अखाड़ों ने कड़ी मेहनत और अत्याधुनिक तकनीक से खुद को स्थापित कर लिया । लेकिन एक ज़माना वह भी था जब ओलम्पिक विश्व चैम्पियनशिप कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाड में भाग लेने वाले ज्यादातर पहलवान गुरु हनुमान के शिष्य होते थे ।
गुरु हनुमान अखाड़े की तूती इसलिए बोलती थी क्योंकि उसने देश को दर्जनों ओलम्पियन, विश्व स्तरीय और एशियाड चैम्पियन दिए , जिनमें सुदेश, प्रेमनाथ, सतपाल, करतार, जगमिंदर
और अन्य ने गुरु और उनके अखाड़े को दुनिया भर में पहचान दिलाई । लेकिन गुरु के जाने के बाद अखाड़े का प्रदर्शन पहले की तरह नहीं रहा । हालाँकि अखाड़े के पूर्व पहलवान और गुरु रामधन, द्रोणाचार्य सम्मान प्राप्त राजसिंह, सतपाल, गुरु महासिंह राव, अर्जुन अवार्ड से सम्मानित राजीव और सुजीत मान, शीलू और अन्य पिछले बीस साल से अखाड़े को फिर से सुर्ख़ियों में लाने के लिए प्रयासरत रहे लेकिन फिलहाल गुरु हनुमान अखाड़े का फिर से भाग्योदय नहीं हो पाया है ।
अखाड़े के पूर्व कोच, पहलवान और कुश्ती प्रेमी कोच महासिंह राव, राजीव तोमर और सुजीत मान की तरफ टकटकी लगा कर देख रहे हैं । ऐसे में सुजीत का सम्मान अखाड़े को बुरे दौर से उबार सकता है । जहाँ तक सुजीत की उपलब्धियों की बात है तो देश के अधिकांश बड़े पहलवान उसके साथ राष्ट्रीय कैम्प में ट्रेनिंग लेते रहे हैं, जिनमें सुशील , योगेश्वर , बजरंग पूनिया , रवि दहिया और कई अन्य के नाम शामिल हैं | यदि सुजीत और उसके साथ जुड़े गुरु और पहलवान अखाड़े को संकट से बचा पाते हैं तो यही गुरु हनुमान को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |