देर से ही सही भारतीय क्रिकेट ने वो सब कर दिखाया, जिसके लिए पूरा देश और क्रिकेट प्रेमी नजरें गड़ाए बैठे थे। बिना कोई मैच गंवाए चैम्पियन बनना न सिर्फ महान उपलब्धि है बल्कि भारतीय क्रिकेट की महानता, क्रिकेट बोर्ड, कप्तान, खिलाड़ियों और देशवासियों का क्रिकेट और अपनी टीम के प्रति दृढ़ विश्वास का फल है।
बेशक, भारतीय खिलाड़ियों ने टीम भावना, एकजुटता और देश के प्रमुख खेल के प्रति समर्पण दिखाया और 13 साल की लंबी प्रतीक्षा के बाद खिताब जीता है। कप्तान रोहित शर्मा की कप्तानी, अंतत: विराट कोहली की विराट पारी और साथी खिलाड़ियों की एकजुटता और हार न मानने की जिद ने भारत को क्रिकेट मानचित्र पर शिखर पर पहुंचाया है। क्रिकेट में यह करिश्मा उस समय हुआ है जब पूरी दुनिया के देश खेलों के महाकुंभ की दहलीज पर खड़े हैं, जिसके लिए चंद दिन बचे हैं और जिसमें हमारा कद बहुत छोटा है।
जी हां, पेरिस ओलम्पिक दुनिया भर के देश के महान खिलाड़ियों के लिए तैयार खड़ा है। बेशक, ओलम्पिक में भाग लेने वाले प्रत्येक खेल का हर एक खिलाड़ी महान होता है और जब कोई खिलाड़ी पदक जीतता है या अभूतपूर्व प्रदर्शन करता है तो देशवासियों की नजरों में महानतम बन जाता है। ठीक वैसे ही जैसे रोहित, विराट और टीम का हर खिलाड़ी क्रिकेट के लिए महानतम में शामिल हो चुका है।
अब बारी बाकी खेलों की है, जो कि वर्षों तक क्रिकेट को कोसते रहे हैं, उसकी तरक्की पर ताने देते रहे हैं और क्रिकेट को ओलम्पिक खेलों का दुश्मन करार देते रहे हैं। लेकिन अब भारतीय क्रिकेट वहां जा खड़ा हुआ है जहां से पूरा देश उसे गर्व से निहार रहा है और बाकी खेलों से कह रहा है कि क्रिकेट से कुछ सीखो, जिसने गर्दिश से निकलकर अपने दम पर अपना एक ऊंचा मुकाम खड़ा कर दिखाया है। यह ना भूलें कि पेरिस खेलों के चार साल बाद क्रिकेट भी ओलम्पिक में शामिल होने जा रहा है। लॉस एंजिल्स ओलम्पिक में क्रिकेट (सबसे छोटा प्रारूप यानी टी-20 फॉर्मेट) ओलम्पिक खेल बन जाएगा, जिसमें दुनिया के प्रमुख क्रिकेट राष्ट्र शामिल होंगे, जिनमें विश्व चैम्पियन भारत पदक के दावेदार के रूप में खेलेगा।
भले ही इस विश्व विजेता टीम के बहुत से खिलाड़ी अगले ओलम्पिक में नहीं खेल पाएंगे लेकिन रोहित शर्मा और विराट कोहली की टीम कामयाबी की ऐसी पटकथा छोड़ गई है, जिस पर चलकर अन्य खेल भी सीख भी सीख ले सकते हैं। इस जीत में ओलम्पिक में भाग लेने वाले भारतीय खिलाड़ियों, अधिकारियों और अन्य के लिए यह सबक छोड़ा है कि टीम भावना, एकजुटता और देशभक्ति की राह पर चलकर कैसे चैम्पियन बना जाता है। अन्य खेलों को यह संदेश भी दिया है कि क्रिकेट से नफरत ना करें। सीख लें और आगे बढ़ें। क्रिकेट ने जो कुछ पाया अपने दम पर है। यही मौका है कि सरकारी ग्रांट पर चलने वाले ओलम्पिक खेल, उनकी फेडरेशन और खेल मंत्रालय एवं साई क्रिकेट की कामयाबी का जश्न मनाएं और बीसीसीआई की कार्य प्रणाली और खिलाड़ियों की मेहनत से सबक लें।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |