क्रिकेट की एशियाई खेलों में घुसपैठ से भले ही बाकी भारतीय खेल और खेल की दुकान चलाने वाले भले ही जल भुन रहे हों लेकिन एक बात तय है कि क्रिकेट यदि एशियाड में टिका रहा तो अन्य खेलों के लिए अवसर घट सकते हैं और क्रिकेट की लोकप्रियता के आगे बाकी खेलों के भाव गिर भी सकते हैं।
इसमें दो राय नहीं कि क्रिकेट इस देश का सबसे लोकप्रिय और सबसे ज्यादा खेले जाने वाला खेल है। भले ही हॉकी और फुटबाल अपनी लोकप्रियता का ढोल पीटते रहें लेकिन क्रिकेट ने धीमे धीमे ही सही भारतीय खेल जगत को कब्जा लिया है। उसके सामने अन्य किसी खेल और उसके स्टार खिलाड़ियों की हैसियत लगातार घट रही है। इसलिए चूंकि क्रिकेट ने मस्त हाथी की तरह आगे बढ़ने का संकल्प जारी रखा और बाकी खेल आपस में या अपने ही अलग अलग धड़ों से लड़ते भिड़ते रहे। एशियाई खेलों का उदाहरण सामने है । क्रिकेट की दोयम दर्जे की टीमें अपने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों की अनुपस्थिति के बावजूद चर्चा में हैं, जबकि बाकी खेल अपने अंतर्कलह के शिकार हैं और कुछ एक तो एक दूसरे का सिर फोड़ने पर आमादा हैं।
भारतीय खेलों को घुन की तरह खाने वाले डरे सहमे हैं। इसलिए क्योंकि उन्हें क्रिकेट के दम खम, हैसियत और पहुंच का भान है। भारत में क्रिकेट को संचालित करने वाले बीसीसीआई के सामने तमाम भारतीय खेल संघ बहुत बौने पड़ गए हैं । उन्हें डर लगने लगा है । यहां तक चर्चा चल निकली है कि यदि क्रिकेट एशियाड में जम गया तो बाकी खेलों की पहचान और पूछ पर असर पड़ सकता है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड की हैसियत को देखते हुए यह भी चर्चा चल निकली है कि क्रिकेट ओलंपिक में घुसपैठ का रास्ता खोज रहा है। भले ही क्रिकेट दस से पंद्रह देशों द्वारा खेला जाने वाला खेल है लेकिन इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया , न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, भारत, पाकिस्तान, वेस्ट इंडीज के अलावा कुछ अन्य यूरोपीय और एशियाई देशों ने भी इस खेल को अपना लिया है।
बेशक, आर्थिक स्थिति को देखते हुए इस खेल में भारत की हैसियत बहुत ऊंची है। भारतीय बोर्ड फीफा की तरह की एक धनाढ्य संस्था है, जिसके आईपीएल खिलाड़ियों की कमाईबाकी खेलों के स्टार खिलाड़ियों की तुलना में बहुत ज्यादा है। एक सर्वे से पता चला है कि आईपीएल खेलने वाले कई खिलाड़ी एक सीजन में इतना कमा लेते हैं , जितना अन्य खेलों के स्टार खिलाड़ी जीवन भर में नहीं कमा पाते। इतना ही नहीं कई खिलाड़ी इतना पा रहे हैं, जितना अन्य खेलों का पूरा बजट है।
भले ही सरकार द्वारा ओलंपिक खेलों को भरपूर मदद दी जा रही है, विदेशी कोच आ रहे हैं और अपने खिलाड़ियों को विदेशों में ट्रेनिंग के लिए भेजा जा रहा है । लेकिन क्रिकेट का जो कुछ है अपने दम पर है। पूर्व अंतरराष्ट्रीय और टेस्ट खिलाड़ियों को पेंशन की सुविधा है। एशियाड और ओलंपिक में क्रिकेट ने यदि मजबूती से पैर जमा लिए तो सरकारी ग्रांट पर पलने वाले खेलों की हालत बद से बदतर हो सकती है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |