क्रिकेट अघोषित राष्ट्रीय खेल !

Cricket may be national game

यह सही है कि क्रिकेट भारत में सबसे लोकप्रिय खेल है और यह खेल राष्ट्रीय खेल भी कहा जाने लगा है । ऐसा इसलिए क्योंकि देश की सरकारों और खेल आकाओं ने आजादी के 75 साल बाद भी किसी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा प्रदान नहीं किया है। हालांकि भूल चूक में हॉकी को यह सम्मान दिया जाता रहा है।

लेकिन अब क्रिकेट का कद और बड़ा होने का वक्त आ गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि क्रिकेट ओलंपिक खेल का दर्जा पाने जा रहा है। इस बारे में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति फैसला ले चुकी है। तारीफ की बात यह है कि आईओसी के हृदय परिवर्तन में भारतीय क्रिकेट बोर्ड और उसके वरिष्ठ पदाधिकारियों का बड़ा हाथ रहा है। भारत सरकार ने भी क्रिकेट को ओलंपिक की दहलीज तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका का निर्वाह किया। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि क्रिकेट आनन फानन में ही ओलंपिक तक पहुंच जाएगा।

यह सही है कि पिछले पचास सालों में भारतीय क्रिकेट ने जोरदार प्रगति की है । खासकर , 1983 में विश्व विजेता बनने के बाद से भारत में क्रिकेट ने तेजी से करवट बदली और इसके साथ ही यह खेल देश भर में घर घर का खेल बन गया। जहां एक तरफ भारत में ओलंपिक खेलों की प्रगति की रफ्तार बेहद सुस्त रही तो क्रिकेट ने दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की की और हर बच्चे और युवा का पहला सपना क्रिकेटर बनना हो गया।

पिछले कई सालों तक क्रिकेट और:अन्य खेलों के बीच तनातनी का खेल चलता रहा। क्रिकेट को यह उलाहना दिया गया कि उसे ओलंपिक का दर्जा
प्राप्त नहीं है। चूंकि क्रिकेट ओलंपिक खेल बिरादरी का हिस्सा बन रहा है इसलिए अब शायद सभी खेल एकजुट होकर आगे बढ़ सकते हैं। फिरभी यह ध्यान रखना होगा कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड आईओए और शायद आईओसी से भी ज्यादा ताकतवर संस्था है, जिसकी आर्थिक स्थिति बड़ी मजबूत है। यह भी सच है कि आम क्रिकेटर की हैसियत अन्य खिलाड़ियों से कहीं ज्यादा ऊंची आंकी जाती है।

देखना यह होगा कि ओलंपिक खेल का दर्जा पाने के बाद क्रिकेट के अन्य खेलों के साथ संबंध कैसे रहते हैं। यह भी हो सकता है कि क्रिकेट अन्य खेलों पर और ज्यादा भारी पड़ सकता है।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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