लहरों से जंग जीतकर रचा नया इतिहास! जल प्रदूषण के खिलाफ 17 किलोमीटर की जंग, जलपरी मीनाक्षी पाहुजा की ऐतिहासिक तैराकी

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New Delhi: राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी की अमर पंक्तियां “लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती,” को सच कर दिखाया है अंतरराष्ट्रीय ओपन-वाटर तैराक सुश्री मीनाक्षी पाहुजा ने। 6 दिसंबर 2024 की सुबह जब अधिकांश लोग नींद में थे, मीनाक्षी ने मुंबई के रेवास जेट्टी से गेटवे ऑफ इंडिया तक 17 किलोमीटर लंबे खुले समुद्र में तैराकी कर एक नया इतिहास रच दिया। यह उपलब्धि सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं है, बल्कि जल प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाने का उनका एक संकल्प था।

17 किलोमीटर का सफर: साहस, लचीलापन और समर्पण का प्रतीक
सुश्री मीनाक्षी की यह ऐतिहासिक तैराकी समुद्र की गहराईयों और लहरों की चुनौती के साथ-साथ तापमान, तेज हवाओं, जेलीफिश और पानी के सांपों जैसी बाधाओं से भरी थी। लेकिन मीनाक्षी के अडिग इरादों ने हर चुनौती को परास्त कर दिया। उनका यह साहसिक प्रयास न केवल उनकी शारीरिक और मानसिक दृढ़ता को दर्शाता है, बल्कि टीमवर्क और नेतृत्व के महत्व को भी उजागर करता है। इस पूरे अभियान में उनकी एस्कॉर्ट टीम—श्री अभिनव कांत चतुर्वेदी, श्री किरीश गांधी और श्री फैसल सिद्दीकी—ने हर कदम पर उनका साथ दिया और उनके अनुभव को सुरक्षित बनाया।

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पिता की विरासत और प्रेरणा का सम्मान
इस तैराकी का श्रेय मीनाक्षी ने अपने दिवंगत पिता श्री वीके पाहुजा को दिया, जो खुद एक प्रसिद्ध तैराकी कोच थे। उनके शब्दों में:
“मेरे पिता की दी हुई सीख मेरी हर उपलब्धि की जड़ है। उनके आदर्शों ने मुझे कभी हार न मानने का जज्बा दिया।”
तीन बार की राष्ट्रीय चैंपियन मीनाक्षी की हर उपलब्धि उनके पिता की विरासत का एक सम्मान है।

जल प्रदूषण के खिलाफ एक आंदोलन
मीनाक्षी का यह साहसिक कदम केवल खेल तक सीमित नहीं है। यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक आंदोलन है। जल प्रदूषण के बढ़ते खतरे को देखते हुए, उन्होंने अपने प्रयासों से देशवासियों को यह संदेश दिया कि पानी, जो जीवन का आधार है, उसे बचाने के लिए हम सभी को कदम उठाने चाहिए। उन्होंने युवाओं से अपील की. आइए हम अपने समुद्रों और नदियों को स्वच्छ रखने का संकल्प लें ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी इसका लाभ उठा सकें।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन
मीनाक्षी पाहुजा ने भारतीय तैराकी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। 1996 में एशिया पैसिफिक एज ग्रुप स्विमिंग चैंपियनशिप में पदक जीतने से लेकर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में तीन बार शामिल होने और मैनहट्टन आइलैंड मैराथन स्विम जैसी चुनौतियां पूरी करने तक, उनकी उपलब्धियां अनगिनत हैं। वह देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्तंभ हैं।

खेल के साथ समाजसेवा में योगदान
लेडी श्रीराम कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत मीनाक्षी ने अपनी तैराकी के माध्यम से सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने का काम किया है। उनका YouTube चैनल “सच्ची बात” सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में उनके प्रयासों का प्रमाण है।

सुश्री मीनाक्षी पाहुजा की यह ऐतिहासिक तैराकी सिर्फ एक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है। यह हमें सिखाती है कि अगर हमारे इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बाधा हमारी सफलता की राह में नहीं आ सकती।

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Pooja Kumari Ms. Pooja,
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