विश्व कप के नाम पर सरकारी घोटाला

Corruption on account of Fifa world cup

इसमें दो राय नहीं की खेल भ्र्ष्टाचार के मामले में भारत दुनिया का सर्वश्रेष्ठ देश है । वरना क्या कारण है कि भारतीय ओलम्पिक संघ से लेकर तमाम खेल संघ कोर्ट कचहरी के चक्कर काट रहे हैं और अपनी करतूतों की सजा देश के खिलाडियों को दे रहे हैं । यह भी सच है कि देश के खेल मंत्रालय से लेकर खेल प्राधिकरण और तमाम छोटी बड़ी खेल इकाइयों में भ्र्ष्ट और अवसरवादी भरे पड़े हैं, यदि ऐसा नहीं होता तो क्यों खेल पुरस्कारों की बंदरबांट होती और क्यों कर अभिनव बिंद्रा और नीरज चोपड़ा जैसे ओलम्पिक चैम्पियन और अनजान खिलाडियों को एक ही तराजू से तोला जाता और खेल रत्न का मज़ाक उड़ाया जाता ?

खैर, देश के खेल भ्र्ष्टाचार के मुद्दे को थोड़ा सा विराम देते हुए फिलहाल फुटबाल भ्र्ष्टाचार की बात करते हैं । चूँकि विश्व कप फुटबाल का शंखनाद हो चुका है इसलिए फिलहाल पूरी दुनिया सिर्फ और सिर्फ फुटबाल की बात कर रही है । लगे हाथों हम भी अपनी फुटबाल और फुटबाल विश्व कप के नाम पर लूट मचाने वाले अवसरवादियों की बात कर लेते हैं ।

जहांतक भारतीय फुटबाल की बात है तो यह विषय सार्वजनिक करना ठीक नहीं होगा क्योंकि हमारी फुटबाल का स्तर किसी से छिपा नहीं है । बेशक, भारत ने हर क्षेत्र में गज़ब की तरक्की की है । शिक्षा, विज्ञान, चिकित्सा और तमाम क्षेत्रों में भारतीय हुनर की तूती बोल रही है लेकिन जब खेलों और खासकर दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल की बात आती है तो आम भारतीय का सर शर्म से झुक जाता है । भले ही हम फुटबाल में ज़ीरो हैं लेकिन जब भी विश्व कप आता है भारतीय फुटबाल के अवसरवादी नींद से जाग जाते हैं । केंद्र और राज्य सरकारों के मुंह लगे अधिकारी, कोच और खिलाडी विश्व कप में भागीदारी की तैयारी में जुट जाते हैं ।

पता चला है कि विश्व फुटबाल के सबसे फिसड्डी देश के सैकड़ों हजारों तथाकथित फुटबाल प्रेमी फीफा विश्व कप में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करने जा रहे हैं । दिल्ली, बंगाल, पंजाब, केरल, गोवा , महाराष्ट्र, आन्ध्रप्रदेश, मणिपुर, सिक्किम और तमाम राज्य सरकारों के छ्दम फुटबाल प्रेमी सरकारी खर्चे पर क़तर का टिकट कटवा चुके हैं । जनता के खून पसीने की कमाई अवसरवादियों और सरकारों के लाडलों पर लुटाई जा रही है । यह खेल सालों से चल रहा है लेकिन एक भी शख्स विश्व कप से कुछ भी सीख कर नहीं आया ।

हालत यह है कि भारतीय फुटबाल की सेवा करने वाले समर्पित खिलाडी सरकारों का मुंह ताकते रह जाते हैं, उनकी कहीं कोई पूछ नहीं होती । सही मायने में यह मौका उनकी सेवाएं लेने का है | लेकिन सैर सपाटे और मौज़ मस्ती के लिए सरकारों और देश में फुटबाल का कारोबार करने वाली फेडरेशन के मुंह लगे क़तर जा रहे हैं । क्या देश की खेल प्रेमी सरकार और आम जनता को इस बारे में जानकारी है कि उनके पैसे का दुरुपयोग हो
रहा है?

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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