सीआईएसएफ प्रोटेक्टर ने फुटबाल दिल्ली सीनियर डिवीज़न लीग का खिताब जीत लिया है । लेकिन सुपर सिक्स में सभी पांच मैच जीतने और विजेता घोषित होने के बावजूद भी चैम्पियन टीम को प्रीमियर लीग में प्रमोशन मिलना मुश्किल लगता है । कारण दिल्ली साकर एसोसिएशन अपने लीग मुकाबलों को क्लब आधारित बनाने के लिए दृढ संकल्प है । डीएसए के अनुसार इस बारे में सीआईएसएफ टीम प्रबंधन को पहले ही पत्र लिख कर सूचित किया जा चुका है । अर्थात लीग चैम्पियन और दिल्ली फुटबाल को संचालित करने वाली इकाई के बीच पेंच फंस गया है ।
उल्लेखनीय है कि 14 दिसंबर को नेहरू स्टेडियम पर समाप्त हुए लीग मुकाबलों में अहबाब फुटबाल क्लब को उप विजेता घोषित किया गया, जबकि अंकों के आधार पर नेशनल यूनाइटेड तीसरे नंबर पर रही । नियमानुसार पहले दो स्थान की टीमों को प्रीमियर लीग में स्थान मिलना तय है लेकिन चूँकि सीआईएसएफ सांस्थानिक इकाई है इसलिए उसे विजेता होने के बावजूद प्रोमोट नहीं किया जाएगा । इसी प्रकार भारतीय वायुसेना पर भी रोक लगाई जा सकती है, जोकि पहली प्रीमियर लीग में खेल चुकी है ।
इसमें दो राय नहीं कि सीआईएसएफ सीनियर डिवीज़न में भाग लेने वाली अन्य दस टीमों के मुकाबले दमदार है, क्योंकि विभाग ने देश भर के श्रेष्ठ खिलाडियों को अपने बल में शामिल किया है और कई अन्य खिलाडियों को भर्ती किया जा सकता है । विभाग के डीआईजी जितेंद्र राणा और मैनेजर अजित का तर्क है कि उनका विभाग प्रतिभावान खिलड़ियों को रोजगार दे रहा है इसलिए उनके पक्ष को गंभीरता से लेने की जरुरत है।
उधर नेशनल यूनाइटेड हर हाल में प्रीमियर लीग खेलना चाहेगी , क्योंकि डीएसए ने पहले ही इस बारे में अपना रुख स्प्ष्ट कर दिया था । सीआईएसएफ का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई पत्र नहीं मिला । चूँकि प्रीमियर लीग अभी साल भर दूर है इसलिए राज्य फुटबाल इकाई के पास कोई भी निर्णय लेने और फैसला सुनाने के लिए पर्याप्त समय है । लेकिन यदि सीआईएसएफ के बारे में निर्णय हो चुका है तो वायुसेना, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और ज़ाकिर हुसैन कॉलेज भी अछूते नहीं रह सकते । उन्हें भी सांस्थानिक लीग में उतरना होगा और सभी के लिए प्रीमियर लीग के रास्ते बंद हो जाएंगे ।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |