आखिर जिसका डर था वही हुआ। भारतीय कुश्ती फेडरेशन ( आई डबल्यू एफ) पर अंतरराष्ट्रीय कुश्ती महासंघ ने प्रतिबंध लगा दिया है। “भारतीय कुश्ती के कर्णधारों में यदि शर्म नाम की चीज बची है तो उन्हें चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए” देश के कुश्ती प्रेमियों की प्रतिक्रिया कुछ ऐसी रही है। अर्थात अब विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भारतीय पहलवान तिरंगे के साथ भाग नहीं ले पाएंगे। जाने माने पहलवानों ने इसे काला दिन बताया।
हालांकि पूर्व अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह का कार्यकाल काफी पहले समाप्त हो चुका था। इस बीच महिला पहलवानों ने ब्रज भूषण पर महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोप लगा कर बड़ा अभियान छेड़ दिया। सांसद महोदय को दुनियाभर में कोसा गया। मामले को निपटाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ की एडहॉक कमेटी गठित की गई। बमुश्किल चुनाव का रास्ता साफ हुआ लेकिन 12 अगस्त को होने वाले चुनाव नहीं हो पाए। कभी ब्रज भूषण के नाते रिश्तेदारों के कारण तिथि में बदलाव हुआ तो कभी विभिन्न राज्य इकाइयों की राजनीति आड़े आई। गुवाहाटी हाई कोर्ट और फिर चंडीगढ़ हाई कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद वही हुआ जिसका डर था।
हालांकि विश्व कुश्ती महासंघ ( यूनाइटेड वर्ल्ड यूनियन) इस साल दो बार भारतीय इकाई पर प्रतिबंध लगा चुका है लेकिन तीसरी बार लगाई गई रोक के मायने हैं कि भारतीय कुश्ती ने बेशर्मी की सारी सीमाएं लांघ दी हैं। भ्रष्ट और सता के भूखे देश के लोकप्रिय खेल को बर्बाद करने पर तुले हैं। आम भारतीय कुश्ती प्रेमी का आक्रोश फूट पड़ा है। हैरानी वाली बात यह है कि गंदी राजनीति के चलते देश का खेल मंत्रालय, देश के नेता सांसद आईओए और कुश्ती के ठेकेदार एक्सपोज हो चुके हैं और सरकार और उसकी जांच समितियां उपहास का पात्र बन गई हैं।
कैसी विडंबना है, एक तरफ तो चांद पर भारतोदय का जश्न मनाया जा रहा है तो दूसरी तरफ हमारी कुश्ती के ठेकेदार रामायण और महाभारत काल के सबसे लोकप्रिय खेल को बर्बाद करने पर तुले हैं और जगहंसाई करा रहे हैं।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |