चूंकि विराट बोर्ड अधिकारियों के आंख की किरकिरी बन गए थे

Virat was no more favourite of BCCI

दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट और वन डे सीरीज हारने वाली भारतीय क्रिकेट टीम की चीर फाड़ शुरू हो गई है। हमेशा की तरह वही घिसी पिटी बातें की जा रही हैं, कारण बताए जा रहे हैं। कोई भी टीम के संतुलन की बात नहीं कर रहा है और ना कोई गेंदबाजी और बल्लेबाजी को कोस रहा है।

भारतीय टेस्ट इतिहास के श्रेष्ठतम बल्लेबाज सुनील मनोहर गावस्कर कह रहे हैं कि भारत ने आधी अधूरी तैयारी के साथ दौरा किया और खामियाजा भरा। उन्होंने पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे का उल्लेख करते हुए कहा कि कसउस दौरे पर भारत ने खासी तैयारी की थी और टेस्ट जीत कर इतिहास बनाया। लेकिन इस बार तैयारी मैच खेलने को नहीं मिल पाए। नतीजन टीम का संतुलन जम नहीं पाया।

लेकिन क्रिकेट की समझ रखने वाले और वर्तमान भारतीय टीम की खबर रखने वाले तमाम बहनों को खारिज करते हुए कहते हैं कि जिस टीम में एक राय ना हो, सीनियर और जूनियर का फर्क नजर ना आता हो और सबसे बढ़ कर गुटबाजी का खेल खेला जा रहा हो उसका हश्र यही होना था। एक टेस्ट जीतने के बाद लगातार दो टेस्ट हारना बहुत से क्रिकेट पंडितों के गले नहीं उतर रहा।

टेस्ट सीरीज हारते ही कप्तान कोहली का पद छोड़ना बताता है कि उन पर बड़ा दबाव था। बेशक, उनकी बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों से नहीं पट रही थी। खासकर, पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली को विराट फूटी आंख नहीं भा रहे थे। यह भी पता चला है कि यदि विराट इस्तीफा न देते तो गांगुली उनकी कप्तानी छीनने का मन बना चुके थे।

सिर्फ गांगुली और जयंत शाह ही नही कई सीनियर खिलाड़ी भी विराट कोहली से खफा थे और कप्तान को घेरने केलिए लामबंद होचुके थे।

दक्षिण अफ्रीका में भारतीय टीम के लचर प्रदर्शन के बाद मेजबान देश के कई पूर्व खिलाड़ी तो यहां तक कह रहे हैं कि विराट को हटाने की जल्दबाजी में टीम प्रबंधन ने टीम को कमजोर कर दिया। उनके अनुसार बेहतर होता जब तक विकल्प तैयार नहीं हो जाता विराट सभी फॉरमेट में टीम के कप्तान बने रहते और स्वदेश वापसी पर नया कप्तान चुन लिया जाता। लेकिन बोर्ड आधिकारियों को विराट फूटी आंख नहीं भा रहे थे।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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