राजेंद्र सजवान
विनेश फोगाट को ओलंपिक पदक मिलने की संभावनाएं पूरी तरह से समाप्त हो गई हैं। तमाम उठा-पटक, जांच-पड़ताल और आरोपों-प्रत्यारोपों के बाद अब विनेश को वीरांगना और खलनायिका बनाने की कोशिशें परवान चढ़ रही हैं। उसके बारे में नई-नई कहानियां-किस्से गढ़े जा रहे हैं। खासकर, सोशल मीडिया का एक वर्ग उसके परिवार के अंतरकलह की उधेड़बुन में लगा है। यहां तक अफवाह फैलाई जा रही है कि उसे कुश्ती की दुनिया में उतारने वाले ताऊ द्रोणाचार्य महावीर फोगाट और उनकी बेटियां- गीता, बबीता भी विनेश को कोसने वाली टीम में शामिल हैं। संगीता और प्रिया महावीर फोगाट की दो अन्य बेटियां हैं। विनेश उनकी चचेरी बहन है, जिसके पिता का देहांत सालों पहले हो गया था। जंतर मंतर पर धरने प्रदर्शन के साथ ही विनेश की अपनी बहनों से कटुता बढ़ी लेकिन एक अच्छी बात यह रही कि मुश्किल दौर में बजरंग और साक्षी ने उसको हिम्मत दी और आगे बढ़ कर लड़ाई लड़ी।
बेशक, विनेश इन सभी बहनों की तुलना में बेहतर रही हैं। उसका प्रदर्शन तमाम अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में अपने आप में बड़ा रिकॉर्ड है। बड़े मान-सम्मान भी उसे मिलते रहे हैं। बस ओलंपिक पदक ही नहीं जीत पाई। पेरिस में गोल्ड के करीब पहुंच कर कैसे चूक गई, आज तक रहस्य बना हुआ है। हालांकि 100 ग्राम वजन से छली गई विनेश ने दुखी होकर कुश्ती को अलविदा कह दिया था लेकिन स्वदेश लौटने पर और अपने करीबियों एवं समर्थकों द्वारा दबाव डालने के बाद अगले ओलंपिक में उतरने का मन बना लिया है। यह भी कहा जा रहा है कि लॉस एंजेलिस ओलंपिक में भाग्य आजमाने से पहले वह देश की राजनीति में कूद पड़े। सूत्रों की मानें तो वह देश के सत्ता पक्ष के विरुद्ध जा सकती है। अर्थात अपनी चचेरी बहनों के खिलाफ ताल ठोक सकती है। वह जीवट पहलवान है। यदि देश की राजनीति में कूदी तो गजब ढा सकती है। उन सब को सबक सिखा सकती है, जो कि भारतीय महिला पहलवानों के दोषी हैं और उसका करियर बिगाड़ने पर तुले हैं।
मीडिया में चल रही खबरों को देखते हुए तो यह लगता है कि विनेश को अपनी चचेरी बहनों से कुछ ज्यादा सपोर्ट मिलने वाला नहीं। लेकिन बड़ी बात यह है कि उसके जीजा बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक जैसे बड़े ओलंपियन उसके समर्थन में खड़े हैं। हालांकि विनेश बहादुर लड़की है और छोटी उम्र से ही मैट पर और मैट के बाहर लड़-भिड़ रही है लेकिन बजरंग और साक्षी ने उसे बड़ी ताकत दी है। दोनों ओलंपिक पदक विजेता आज उसके सुख-दुख के साथी है। यदि विनेश, बजरंग और साक्षी की तिकड़ी जमी रही तो भारतीय कुश्ती तमाम बाधाओं से निकलकर सही ट्रैक पकड़ सकती है।
Rajendar Sajwan
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |