भारतीय फुटबाल के लिए नए साल की शुरुआत 13 ( जनवरी) के अशुभ आंकड़े के साथ हो रही है। इस दिन भारतीय फुटबाल टीम को एशियन कप के शुरुआती मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया से निपटना है । बाद के मैचों में उज़्बेकिस्तान और सीरिया की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। अर्थात ओलंपिक वर्ष की शुरुआत भारतीय फुटबाल के लिए कड़ी चुनौती के साथ होने जा रही है।
हालांकि भारतीय चुनौती को कमतर आंकना खिलाड़ियों का मनोबल तोड़ने जैसा होगा । फिरभी रैंकिंग और रिकार्ड को देखते हुए भारत पर दांव खेलना घाटे का सौदा रहेगा। चाहे कोच इगोर स्टिमक कोई भी बहाना बनाएं और प्रतिद्वंद्वियों को मजबूत बताएं लेकिन भारतीय टीम का अगले राउंड में पहुंचना आसान नहीं होगा। भारतीय फुटबाल को ब्लू टाइगर्स की फौज बताने वालों की भावनाओं को ठेस जरूर पहुंचेगी लेकिन सच्चाई यह है कि पिछले चार दशक के खिलाड़ियों में टाइगर्स जैसी कोई चीज दिखाई नहीं पड़ती।
सच तो यह है कि पिछले कई सालों से भारत फुटबाल में एक महा फिसड्डी देश बन कर रह गया है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि देश में फुटबाल का कारोबार प्राय भ्रष्ट और नकारा लोगों के हाथ में रहा है, जिन पर खिलाड़ियों के हिस्से के पैसों का दुरुपयोग , गबन, धोखाधड़ी , चयन में धांधली और न जाने कैसे कैसे आरोप लगते आए हैं। इतना ही नहीं लाखों रुपए जादू टोना करने वालों, ओझा और झाड़ फूंक करने वालों पर खर्च किए जाते रहे हैं। उम्मीद की जा रही थी कि नए और युवा पदाधिकारियों के सत्ता संभालने के बाद भारतीय फुटबाल में कुछ बदलाव होगा। नई टीम ने बकायदा 2047 तक का रोड मैप भी बना डाला लेकिन चंद दिनों बाद एआईएफएफ ने अपने महासचिव पर गंभीर आरोप लगाए और उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया। फिलहाल फुटबाल कोर्ट कचहरी में खेली जा रही है ।
जहां तक एशियन कप में भाग लेने वाली टीम की बात है तो इन तिलों में तेल नहीं है। बहानेबाज विदेशी कोच पहले ही कह रहा है कि मौके कम ही हैं। अर्थात इगोर साहब भारत की संभावना को इग्नोर कर चुके हैं। एक मात्र सुनील क्षेत्री के भरोसे आखिर कब तक हेंकड़ी हांकते रहेंगे। यह ना भूलें कि सुनील पर उम्र भारी पड़ने लगी है। फिलहाल उसका कोई विकल्प भी नहीं है ।
कुल मिला कर भारतीय फुटबाल में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा। हमारे खिलाड़ी गली के शेर भी नहीं हैं। बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान, म्यांमार, मालद्वीव जैसे देश भी भारतीय फुटबाल को हैसियत का आइना दिखाते आ रहे हैं। ऐसे में नए साल की शुरुआत पुराने अंदाज में होना तय है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |