उड़न परी पीटी उषा को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने के फैसले की देश के खिलाड़ी, खेल प्रेमी और आम नागरिक न सिर्फ प्रशंसा कर रहे हैं अपितु यहां तक कहा जा रहा है कि देर से ही सही देश की सरकार ने भूल सुधार ली है।
उषा का नाम आते ही लास एंजेल्स ओलंम्पिक की वह दौड़ याद आ जाती है जब वह सेकंड के सौवें हिस्सेसे पदक गंवा बैठी थी। भले ही 37 साल बाद नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीत कर भारत को एथलेटिक पदक तालिका में भारत को स्थान दिलाया लेकिन उषा का कुल प्रदर्शन किसी भी भारतीय खिलाड़ी को शीर्ष स्थान दिलाता है। एशियाई खेल, एशियन चैंपियनशिप और अन्य विश्वस्तरीय आयोजनों में जीते पदक उसकी श्रेष्ठता के गवाह हैं। उसे प्योली एक्सप्रेस, उड़न पारी और न जाने क्या क्या कहा गया। उषा की बड़ी खासियत यह है कि केरल की इस लंबी ऊंची कद की चैंपियन ने विवादों को कभी नजदीक नहीं फटकने दिया। सरकार ने अर्जुन अवार्ड और पद्मश्री जैसे सम्मान दिए लेकिन वह बहुत ज्यादा की हकदार थी और अंततः उसे वह सब मिल गया जो उससे बेहद कमतर करने वाले खिलाड़ी पा चुके हैं।
इसमें दो राय नहीं कि राट्रीय खेल अवार्ड और राजनीति में बड़ा मुकाम पाने के लिए राजनीति करनी पड़ती है। बेशक, उषा को भी राज्य सभा की सदस्यता इसी मार्ग पर चल कर मिली है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि वह संसद में भारतीय खेलों और खिलाड़ियों के लिए आवाज जरूर उठाएंगी। सही मायने में भारतीय खेलों को उचित मार्गदर्शन की जरूरत है। ऐसी हस्तियों की जरूरत है जोकि संसद में आवाज बुलंद कर सकें।
उषा ने वह दौर करीब से देखा है जब भारतीय खेल साधन सुविधाओं के लिए तरस रहे थे। हालांकि उसकी कामयाबी में नामी कोच नाम्बियार का बड़ा हाथ रहा लेकिन तब साधन सुविधाओं की भारी कमी थी।वरना उषा की उपलब्धियां बढ़ चढ़ कर होतीं।
राज्य सभा के लिए मनोनीत किए जाने पर प्रधानमंत्री ने उषा को बधाई दी है। उषा को यह सम्मान उस वक्त मिला है जब भारतीय खेल चैंपियन देशो से मुकाबले की तैयारी में जुटे हैं। सरकार ने बाकायदा अग्रणी खेल राष्ट्रों में शामिल होने का मन बना लिया है। फिलहाल कामन्वेल्थ खेल , एशियाई खेल और ओलंम्पिक खेल करीब हैं। यही मौका है जब पीटी उषा और अन्य खेल हस्तियों के मार्गदर्शन से भविष्य की रणनीति तैयार की जा सकती है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |