वर्ल्ड कप भूल जाएं; एशियाड और एएफसी पर ध्यान दें

indian football Asiad and AFC should be the priority

विश्व फुटबाल को संचालित करने वाली और दुनिया की सबसे धनी और प्रभावी संस्था फीफा ने फैसला किया है कि अमेरिका कनाडा और मैक्सिको की संयुक्त मेजबानी में खेले जाने वाले फीफा वर्ल्ड कप 2026 में 48 देश भाग लेंगे। क़तर वर्ल्ड कप में 32 देश शामिल थे , जिसमें एशियाई देशों ने भी जोरदार चुनौती पेश की थी । इस ऐतिहासिक फैसले को भारत में भी सुगबुगाहट चल निकली है । दबी जुबान से ही सही भारतीय फुटबाल प्रेमी कहने लगे है कि देर सबेर ही सही भारत को भी वर्ल्ड कप खेलने का सौभाग्य प्राप्त हो सकता है ।

जहां तक अखिल भारतीय फुटबाल फेडरेशन की बात है तो उसने 2047 तक का रोड मैप तैयार कर लिया है । अर्थात आज़ादी के सौ साल पूरे करते वक्त भारत फुटबाल में एक बड़ी ताकत बन चुका होगा । लेकिन आम फुटबाल प्रेमी पूर्व खिलाडी, और फुटबाल विशेषज्ञों से पूछें तो तमाम की राय में भारत को पहले महाद्वीप में सम्मान जनक स्थान प्राप्त करना होगा । अर्थात एशियाड और एएफसी जैसे आयोजनों में बेहतर प्रदर्शन के बाद ही फीफा वर्ल्ड कप में खेलने का सपना देखना ठीक रहेगा ।

फिलहाल फीफा रैंकिंग की बात करें तो भारत 106 वे स्थान पर है । यह सही है कि कुछ पिछड़ी रैंकिंग वाले देश भी कभी कभार बड़ा उलटफेर कर जाते हैं और कई ऊँची रैंकिंग वाले क्वालीफाई नहीं कर पाते । लेकिन भारतीय फुटबाल की हालत को देखते हुए शायद ही कोई बड़ा दावा किया जा सकता है । यह सही है कि भारतीय फुटबाल को पहले एशियाई देशों के बीच ऊंचा मुकाम हासिल करना होगा ।

एशियाई देशों में जापान फीफा रैंकिंग में 20वे स्थान पर है । तत्पश्चात ईरान और कोरिया क्रमशः 24, 25 पर और ऑस्ट्रेलिया 27 वे नंबर पर है । फिर सऊदी अरब , क़तर , ईराक , यूएई , चीन आदि आते हैं । अर्थात भारत के लिए वर्ल्ड कप खेलना आसमान के तारे तोड़ने जैसा है । ऐसा इसलिए क्योंकि सालों बाद भी हमारी फुटबाल उपमहाद्वीप से बाहर नहीं निकल पाई है । सच तो यह है कि भारत को नेपाल , म्यांमार , बांग्ला देश , अफगानिस्तान जैसे पिद्दी देश भी खतरनाक नहीं मानते और कभी कभार तो पलटवार कर डालते हैं ।

फुटबाल प्रेमी चाहते हैं कि भारत पहले एशिया में बड़ी ताकत बन कर दिखाए। एशिया के दस टॉप देशों में स्थान बनाने के बाद कोई दावा करे तो बुराई नहीं | एशियाड खेले जैसे युगों बीत गए और वर्ल्ड कप क्वालीफायर में पाला छू कर लौट आते हैं । ऐसा देश जब वर्ल्ड कप खेलने की बात करता है तो दुनिया भर में उपहास उड़ाया जाता है । बेहतर यह होगा कि वर्ल्ड कप की बजाय एशियाड को लक्ष्य बनाया जाए । फीफा वर्ल्ड कप में भाग लेने वाले देशों की संख्या बढ़ाए जाने का लाभ यूरोप , लेटिन अमेरिका और अफ्रीका के देशों को पहुँच सकता है । तो फिरभारत खुशफहमी क्यों पाल रहा है ?

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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