हालांकि ओलम्पिक कुश्ती में भारतीय पहलवानों ने कुल सात पदक जीते हैं, जिनमें से अकेले सुशील कुमार के नाम एक कांस्य और रजत पदक है। एकमात्र ओलम्पिक (कांस्य) पदक जीतने वाली महिला पहलवान साक्षी मलिक है। फिलहाल, भारत का कोई भी पहलवान ओलम्पिक विजेता बनकर स्वर्ण पदक नहीं जीत पाया है। पेरिस ओलम्पिक गेम्स से पहले एक और रिकॉर्ड यह बना है कि इस बार सबसे ज्यादा पांच महिला पहलवान भारत की चुनौती पेश करेंगी। विनेश फोगाट, अंतिम पंघल, अंशु मलिक, रीतिका हुड्डा और निशा दहिया ने भारतीय महिला कुश्ती को गौरवान्वित किया तो पांच दुर्गाओं के बीच अकेला लंगूर अंडर-23 वर्ल्ड चैम्पियन अमन सहरावत है, जो कि 57 किलो भार वर्ग में भारत की तरफ से पेरिस के ओलम्पिक अखाड़े में ताल ठोकेगा।
20वर्षीय अमन सहरावत एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीत चुका है। साल भर पहले उसने एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर सुर्खियां बटोरी थी। हरियाणा के झज्जर जिले के बिरोहर के रहने वाले इस प्रतिभावान पहलवान ने 11 वर्ष की उम्र में अपने माता पिता को को खो दिया था। लेकिन अब इसका जीवन बदल गया है। अनेकों अंतरराष्ट्रीय पहलवानों को तैयार करने वाले और उन्हें ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले छत्रसाल स्टेडियम अखाड़े की शिक्षा-दीक्षा में पले-बड़े हुए अमन सहरावत के सामने अब खुला आसमान है। महाबली सतपाल, द्रोणाचार्य रामफल, सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, बजरंग पुनिया, रवि दहिया और दर्जनों धुरंधरों की देखरेख और संरक्षण में अमन ने कुश्ती के गुर सीखे हैं।
पद्मश्री द्रोणाचार्य सतपाल के अनुसार, प्रतिभा के मामले में वह अखाड़े के धुरंधर पहलवानों जैसा प्रतिभावान है और ओलम्पिक चैम्पियन बनने की योग्यता रखता है। उन्हें विश्वास है कि अमन ना सिर्फ अपने अखाड़े अपितु देश का नाम रोशन करेगा।
फिलहाल, ललित कुमार उसे अखाड़े में गुर सिखा रहे हैं और समय-समय पर सतपाल पहलवान उसे टिप्स देने छत्रसाल स्टेडियम पहुंचते हैं। कोच रामफल और अखाड़े के कोचों एवं सीनियर पहलवानों की राय में अमन ने पहलवानी के गुर उस उम्र में सीख लिए थे, जब ज्यादातर बच्चे मां-बाप के संरक्षण में बचपन बीता रहे होते हैं। छोटी उम्र में वह अनेकों खिताब अपने नाम कर चुका है। ओलम्पिक पुरुष वर्ग में वह एक ही सही लेकिन खरा सोना है।
भले ही अमन ने देश के लिए ओलम्पिक कोटा हासिल कर लिया है लेकिन ज्यादातर कुश्ती जानकारों और गुरुओं-खलीफाओं का मानना है कि अमन को अब और परीक्षा देने की जरुरत नहीं है। उसे सीधे पेरिस जाने की अनुमति मिलनी चाहिए।
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Rajendar Sajwan
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |