भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर पी आर श्रीजेश को वर्ष २०२१ के लिए , ‘वर्ल्ड गेम्स एथलीट ऑफ द ईयर’ सम्मान दिया जाना भारतीय हॉकी के लिए बड़ी खुश खबरीहै। बेशक, हर भारतीय के लिए गौरव की बात है। तारीफ़ की बात यह है कि साल २०१९ का सम्मान महिला टीम की कप्तान रानी रामपाल को मिला था। वाकई भारतीय हॉकी के लिए ख़ुशी मनाने का वक्त है। टोक्यो ओलम्पिक में पुरुष टीम ने कांस्य पदक जीता जबकि महिलाएं चौथे स्थान पर रहीं थीं| तत्पश्चात हॉकी के तमाम श्रेष्ठ अवार्ड भी भारत की झोली में गिरे। श्रेष्ठ गोलकीपर, रक्षक, फारवर्ड, उभरते युवा चैम्पियन सब भारतीय टीम के रहे।
इसमें दो राय नहीं कि श्रीजेश विश्वस्तरीय गोलकीपर हैं और भारत को यदि 41 साल बाद ओलम्पिक पोडियम में चढ़ने का मौका नसीब हुआ है तो श्रीजेश के कारण। शुरूआती मैच में ऑस्ट्रेलिआ से 0 -7 की हार के बाद उसने मैच दर मैच शानदार बचाव कर भारतीय हॉकी का सम्मान लौटाने में बड़ी भूमिका निभाई। बेशक, वह दुनिया के श्रेष्ठ गोलरक्षकों में शुमार किया जा सकता है। लेकिन कुछ जिज्ञासु यह जानना चाहते हैं कि हमारे हॉकी खिलाडी ही यह सम्मान कैसे पा जाते हैं? एफआईएच के हॉकी अवार्डों को लेकर भी सवाल पूछे गए कि पहले दूसरे नंबर कि टीमें क्यों पीछे छूट गईं? पता चला है कि उन्हें कम वोट मिले थे। अर्थात सब वोट का खेल है।
उस समय जबकि भारतीय पुरुष और महिला टीमें खराब प्रदर्शन के दौर से गुजर रही हैं उंगली उठना और शक करना गलत भी नहीं है। यह न भूलें कि पुरुष टीम के जूनियरों को फ़्रांस और सीनियर टीम को जापान के हाथों हार झेलनी पड़ी थी। महिला टीम जापान और कोरिया से परास्त हुई तो प्रदर्शन में गिरावट के बारे में पूछा जाना चाहिए। भारतीय हॉकी प्रेमियों को इस बात कि चिंता ज्यादा है कि कुछ महीने बाद ही भारतीय हॉकी को कॉमनवेल्थ और एशियाई खेलों कि कसौटी से गुजरना है।
हालांकि हॉकी इंडिया और भारतीय हॉकी टीमों के साथ जुड़े जिम्मेदार अधिकारी कह रहे हैं कि टीम नए सिरे से गठित की जा रहीं हैं और कुछ पुराने खिलाडियों के संन्यास के बाद नई प्रतिभाओं को आजमाया जा रहा है इसलिए प्रदर्शन पर असर पड़ रहा है। उन्हें भरोसा है कि कॉमनवेल्थ और एशियाई खेलों में दोनों ही टीमें अपनी पूरी ताकत के साथ उतरेंगी|
चूँकि भारतीय टीमों ने टोक्यो ओलम्पिक में अपने प्रदर्शन से देश के हॉकी प्रेमियों का दिल जीत लिया था इसलिए उनसे अपेक्षा बढ़ गई है। उन्हें बड़े बड़े श्रेष्ठता सम्मान मिल रहे हैं जिनकी सत्यता उन्हें आगामी आयोजनों में साबित करनी होगी| ज़ाहिर है असली परीक्षा ज्यादा दूर नहीं है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |