आईपीएल खा गया, अब डब्ल्यूपीएल छा गया

After IPL WPL may damage Oly Sports

पिछले कुछ हफ्तों में भारत में खेलों में दिलचस्पी रखने वाले अभिभावकों की सोच में भारी बदलाव देखने को मिला है। तब से जब से महिला क्रिकेट लीग(WPL) देश के क्रिकेट नक्शे पर अवतरित हुई है। भले ही आईपीएल की बराबरी करने में महिला क्रिकेट को कुछ समय लग सकता है लेकिन अब एक ऐसे दौर की शुरुआत हो चुकी है , जिसके नतीजे अन्य भारतीय खेलों के लिए घातक हो सकते हैं।

इसमें दो राय नहीं कि भारत में लगभग हर बच्चे का पहला सपना क्रिकेटर बनने का होता है। 1983 की क्रिकेट विश्वकप में मिली जीत ने देश में क्रिकेट का माहौल बनाने में महत्वपूर्ण रोल अदा किया। तब क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिला जब आईपीएल की शुरुआत हुई। आईपीएल का रंग कुछ ऐसा चढ़ा कि जो खिलाड़ी कभी टेस्ट कैप के लिए तरसते थे उनका सपना आईपीएल खेलना बन गया। हर खिलाड़ी लाखों करोड़ों की बरसात में नहा कर धन्य हो जाना चाहता है।

भले ही डबल्यूपीएल की शुरुआत अपेक्षाकृत कम धनवर्षा से हुई है लेकिन जब कुछ टाप क्रिकेटर करोड़ों तक पहुंच सकती हैं तो इसे महिला क्रिकेट के लिए भारी बदलाव माना जा सकता है।

हालांकि महिला क्रिकेट को बीसीसीआई का विश्वास जीतने में समय लगा लेकिन महिला खिलाड़ियों का कद अब पहले के मुकाबले खासा ऊंचा उठा है, जिसे देख कर बाकी भारतीय खेल सकते में हैं। उन्हें डर है कि अब देश में हर तरफ बस क्रिकेट ही क्रिकेट देखी और खेली जाएगी।

महिला लीग की शुरुआत से पहले भिवानी के अजय ढाका अपनी बिटिया को पहलवानी में डालने के बारे में सोच रहे थे लेकिन अब असमंजस में हैं। रोहतक के रजनीश, राजीव और कृपाल ने भी अपनी बेटियों को क्रिकेट सिखाने का फैसला किया है क्योंकि इस खेल में उन्हें भविष्य सुरक्षित लगता है। झारखंड के दिनेश तिर्की, पंजाब के सुखवंत, हिमाचल के बलदेव राणा और लखनऊ के लियाकत अली भी महिला क्रिकेट में भविष्य सुरक्षित देख रहे हैं।

अर्थात भारत में क्रिकेट के बढ़ते दबदबे से ओलंपिक खेलों की नींद हराम हैं। श्रेष्ठ और दमदार बच्चे क्रिकेट को पहला खेल के रूप में अपना रहे हैं, जोकि बाकी के लिए अशुभ संकेत है।

पुरुषों के बाद अब देश में महिला क्रिकेट लीग की शुरुआत भी हो चुकी है। कुछ खेल जानकारों का मानना है कि हॉकी, बैडमिंटन, कुश्ती, और अन्य खेलों में धमाल मचाने वाली लड़कियां अब खोजे नहीं मिल पाएंगी। हो सकता है कि अब हर लड़के की तरह क्रिकेट लड़कियों का भी पहला खेल बन जाए।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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