खेल मंत्रालय या मनु भाखर के परिजनों में से कोई तो झूठ बोल रहा है वरना ध्यान चंद खेल रत्न अवार्ड को लेकर तमाशेबाजी कदापि नहीं होती l मनु का परिवार कह रहा है कि उन्होंने आवेदन भरा था लेकिन खेल मंत्रालय कह रहा है कि उन्हें आवेदन नहीं मिला l चलिए मान लिया कि किसी प्रकार की गलत फहमी के चलते मनु को खेल रत्न के लिए चुनी गई सूची में शामिल नहीं किया गया हो l लेकिन आरोप प्रत्यारोपों का सिलसिसीला चल निकला है l
फिलहाल खेल मंत्रालय ने सफाई दी है कि सच चाहे कुछ भी हो मनु के नाम पर गौर किया जाएगा l लेकिन इतनी बड़ी चूक क्यों हुई? क्या सरकार द्वारा गठित पैनल को पता नहीं था कि मनु भाखर नाम की खिलाड़ी ने पेरिस ओलम्पिक में देश के लिए दो काँस्य पदक जीते हैं और वह सबसे पहले खेल रत्न की हकदार है l लगता है कहीं ना कहीं कोई बड़ा झोल जरूर है या देश के श्रेष्ठ और हकदार खिलाड़ी और कोचों का चयन करने वाले पैनल में योग्य और जानकार लोगों की कमी है l वरना इतनी बड़ी चूक कैसे हो सकती है? यह जांच का विषय तो बनता है l लेकिन खिलाडियों का एक वर्ग कहता है कि जिन लोगों ने खेल रत्न अवार्ड का नाम राजीव गाँधी के नाम से हटा कर ध्यान चंद के साथ जोड़ा है वे कुछ भी कर सकते हैं l
खेल रत्न आवार्डो की शुरुआत 1992 में हुई थी और 2021 तक राजीव गाँधी का नाम अवार्ड के साथ जुडा रहा और ध्यानचंद लाइफ टाइम पुरस्कार भी दिया जाता रहा l अर्थात अब हॉकी जादूगर के नाम दो अवार्ड हैं लेकिन बार बार आवाज उठाने के बावजूद उन्हें भारत रत्न के काबिल नहीं समझा गया l
कुछ पूर्व खिलाडियों और कोचों की राय में खेल आवार्डों को लेकर विवाद होते रहे हैं और विवादों के केंद्र में हर बार गन्दी राजनीति रही है l लेकिन इस बार तो हद ही हो गई l मनु भाखर को भूलना चयन पैनल की सबसे बड़ी भूल मानी जा रही है l यह ना भूलें कि एक बार दर्जन भर खेल रत्न आवार्डो की बन्दर बाँट भी हो चुकी है l
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |